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    "यूक्रेन में जारी रखेंगे लड़ाई, नहीं करेंगे समझौता": पुतिन का फ्रांस के राष्ट्रपति को जवाब

    ग्लोबलाइजेशन (Globalization) के इस दौर में रूस-यूक्रेन संकट (Russia- Ukrain Crisis) पूरी दुनिया के कूटनीति व राजनीति, बाजार और अर्थव्यवस्था सहित जीवन के हर पहलू पर असर डाल सकता है। इसका असर इस संकट के शुरुआती दिनों से ही दिखना शुरू हो गया है जब अमेरिका सहित दुनिया भर के कई देशों ने रूस के ऊपर आर्थिक, कूटनीतिक और तमाम तरह की पाबंदियां लगाना शुरू कर दिया है।

    रूस द्वारा युद्ध का ऐलान, यूक्रेन में “मार्शल लॉ (Martial Law)”

    आज यानी 24th फरवरी के दिन (06:00 AM मॉस्को के समयानुसार) रूस द्वारा यूक्रेन के ऊपर “डायरेक्ट मिलिट्री एक्शन” के ऐलान के बाद रूस की सेना यूक्रेन के अंदर दाखिल हो गयी। रूस के राष्ट्रपति पुतिन (Putin) ने युद्ध की घोषणा करते हुए दुनिया के अन्य देशों को इस मामले से अलग रहने की अपील की।

    राष्ट्रपति पुतिन (Putin) ने कहा- “यूक्रेन के सैनिक अपने हथियार रख दें और अपने घर जाएं। साथ ही विदेशी हस्तक्षेप रूस को मंजूर नहीं होगा और रूस उसके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई करेगा”

    रूस के राष्ट्रपति पुतिन के इस घोषणा के ठीक बाद यूक्रेन के अंदरूनी मामलों के मंत्री डीमाईत्रो कुबेला (Dmytro Kubela) ने रूस द्वारा बड़े पैमाने पर आक्रमण (Full scale invasion) की पुष्टि की। इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़लेंसकी (Zelenskiy) ने अपने राष्ट्र ने नाम आपातकालीन संबोधन में पूरे देश मे मार्शल लॉ (Martial Law) की घोषणा की तथा अपने नागरिकों से घर मे ही सुरक्षित रहने की अपील की।

    वैश्विक राजनीति की बदल सकती है दिशा और दशा

    कुल मिलाकर दोनों देशों के बीच युद्ध पूरी तरीके से शुरू हो गया है। यूक्रेन NATO (North Atlantic Treaty Organization)  का सदस्य देश है इसलिए पूरी संभावना है कि दुनिया के बाकि देश की सेनाएं भी इस युद्ध मे शामिल हो सकते हैं। चीन ने शुरुआती दिनों में रूस के साथ देने की घोषणा पहले ही की थी हालाँकि बाद में चीन थोड़ा ढुलमुल रवैया अपना रहा है।

    भारत ने अपनी तटस्थता को कायम रखते हुए खुद को इस यूक्रेन संकट (Ukrain Crisis) से दूर रखा है लेकिन इस युद्ध के दूरगामी प्रभावों से नहीं बच सकता। जापान अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों ने रूस के रवैये के कड़े शब्दों में न सिर्फ आलोचना की है बल्कि इन देशों द्वारा रूस के ऊपर कई तरह के आर्थिक और कूटनीतिक पाबंदियां भी थोप दी गई है।

    ऐसे में यह कहना कदाचित गलत नहीं होगा कि इस युद्ध के दूरगामी परिणाम वैश्विक राजनीति को बदल कर रख सकती है।

    यूक्रेन संकट (Ukrain Crisis): वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) पर पड़ेगा गहरा प्रभाव

    जैसे ही रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध की घोषणा की, उसके कुछ ही घंटों के भीतर रूस की मुद्रा Rouble की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में रिकॉर्ड 5.4% गिर गई।

    पुतिन के घोषणा के साथ कच्चे तेल (Crude Oil)  की कीमतों में भी इज़ाफ़ा देखा गया और पिछले 7 सालों में पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया।

    दुनिया भर के शेयर बाजार में गिरावट दर्ज किया गया। हॉंगकॉंग का शेयर बाजार हैंग-सेंग (Hang Seng) 3.1% , ऑस्ट्रेलिया के ASX में 3%, दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार में 2.7% की गिरावट दर्ज की गई।

    चूँकि जिस वक्त पुतिन ने घोषणा की (06:00 AM मॉस्को के समयानुसार) उस समय दुनिया के कई देशों के शेयर मार्केट बंद थे; इसलिए संभावना है कि अगले 24 घंटे में जैसे जैसे मार्केट खुलेंगे, इसका असर उन सभी बाजारों पर दिखना स्वाभाविक है।

    यूक्रेन संकट (Ukrain Crisis): आम जनों की बढ़ेगी आर्थिक परेशानी

    कोरोना के मार से दुनिया भर की अर्थ-व्यवस्थाओं की हालात पहले ही प्रभावित है। खासकर भारत जैसे अर्धविकसित देशों में जहां उपलब्ध संसाधनों की तुलना में जनसंख्या ज्यादा है, इन देशों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।

    दरअसल कच्चे तेल की कीमतों में परिवर्तन का असर अर्थव्यवस्था के हर पहलू को प्रभावित करता है। मशीनरी के संचालन से लेकर माल ढुलाई तक मे ईंधन की बढ़ी कीमतों के असर पड़ता है। इस से हर जरूरी वस्तु की महंगाई बढ़ जाती है। रसोई गैस की कीमतों में इज़ाफ़ा घर-गृहस्थी को प्रभावित करती है।

    ऐसे में जबकि, दुनिया के कई देश ईंधन की आपूर्ति के लिए रूस पर निर्भर हैं; रूस यूक्रेन विवाद का सीधा असर इन देशों के बजट पर पड़ने वाला है।

    भारत जैसे देश में बेरोजगारी दर पहले ही एक जटिल समस्या है। महंगाई पिछले कई वर्षों से बढ़ती ही जा रही है। कोविड के बाद निःसंदेह लोगों के खरीद-क्षमता (purchasing power) कम हुई है। अब रूस यूक्रेन संकट ने आम जनों के लिए परेशानी बढ़ाने का काम करेगी।

    दुनिया ने रूस के इस कदम पर दी प्रतिक्रिया

    रूस ने जिस यूक्रेन (Ukrain) पर आक्रमण किया है, उसे  NATO का समर्थन प्राप्त है। नाटो (NATO) के सूत्रधार देशों में प्रमुख अमेरिका और ब्रिटेन ने रूस के इस कदम की आलोचना की।

    अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडन ने कहा- ” दुनिया भर की दुआएं और प्रार्थनाएं यूक्रेन के लोगों के साथ है जो रूस की मिलिट्री द्वारा “अकारण और अनुचित (Unprovoked & Unjustified)” आक्रमण से जूझ रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने पूर्वाग्रहों से ग्रसित युद्ध का रास्ता चुना है जो भयंकर जान और मानवीय पीड़ा का कारण बन सकता है।”

    वहीं रूस में ब्रिटिश राजदूत मेलिंडा सिमंस (Mellinda Simmons) ने रूस के इस कदम को एक शांतिपूर्ण देश के ऊपर  किया जा रहा “अकारण आक्रमण” बताया। दुनिया के कई अन्य महत्वपूर्ण देश जैसे जापान, फ्रांस, जर्मनी, चीन आदि ने भी युद्ध रोकने की अपील की है।

    संयुक्त राष्ट्र संघ के लिए बड़ा मौका

    संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations Organization) की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद इसी उद्देश्य से की गई थी कि भविष्य में फिर कोई ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो कि विश्व युद्ध जैसी परिस्थितियाँ बने। उसके बाद से यह संस्था अपने उद्देश्य में एक हद तक कामयाब ही रही है। कई ऐसे मौके आये जहाँ लगा कि विश्व युद्ध हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है।

    इस समय दुनिया फिर से एक ऐसे मुकाम पर खड़ी है जहाँ कई महाशक्तियां एक दूसरे से टकरा सकती हैं। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका अति महत्वपूर्ण बन जाती है।

    इसी क्रम में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) के महासचिव एंटोनियो गुटारेस (Antonio Gutarres) ने रूस के राष्ट्रपति से अपील करते हुए कहा कि राष्ट्रपति पुतिन, कृपया मानवता के नाम पर ही अपनी सेना को रूस में वापस बुला लीजिये।”

    कुल मिलाकर, रूस द्वारा यूक्रेन के ऊपर आक्रमण किये जाने के बाद पूरा विश्व चिंतित है। निश्चित ही, युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता क्योंकि युद्ध के बाद भी दोनों पार्टियों को टेबल पर बैठकर बातचीत करनी ही होगी।

    बेहतर है कि इस यूक्रेन संकट (Ukrain Crisis) समाधान भी बातचीत से ही निकाला जाए और इसके लिए दुनिया भर के देशों को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। क्योंकि अगर युद्ध हुआ तो बेशक लड़ेंगी शायद दो पक्षो की सेनाएं ही; पर नुकसान सबका होगा।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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