Fri. Nov 22nd, 2024

    यूनाइटेड शिपबिल्डिंग कॉरपोरेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेक्सी राखमनोव ने कहा कि रूस द्वारा बनाए जा रहे दो अतिरिक्त क्रिवाक श्रेणी के स्टील्थ फ्रिगेट्स में से पहला 2023 के मध्य में भारत को मिल जाने की उम्मीद है। यह सभी जहाज ब्रम्होस सुपरसोनिक मिसाइल से लैस होंगे।

    एलेक्सी राखमनोव ने मॉस्को में चल रही डिफेन्स एक्सपो 2021 में कहा कि, “कोरोना महामारी ​​के कारण हमें निर्माण के कुछ चरणों के निष्पादन में देरी हुई। यह कार्यक्रम अभी करीब आठ महीने की देरी से चल रहा है। पहला जहाज 2023 के मध्य में भारत को मिल जाना चाहिए।”

    अक्टूबर 2016 में, भारत और रूस ने चार क्रिवाक श्रेणी के स्टील्थ फ्रिगेट के लिए एक अंतर-सरकारी समझौते (आईजीए) पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के अनुसार दो जहाज सीधे रूस से खरीदे जाने हैं और दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा बनाए जाने हैं। सीधी खरीद के लिए कुल $ 1 अरब डॉलर का समझौता हुआ था।

    जीएसएल में निर्माण पर एलेक्सी राखमनोव ने कहा कि वे जल्द ही भारतीय तकनीशियनों को रूस में यंतर शिपयार्ड में दो फ्रिगेट के चल रहे निर्माण के लिए आमंत्रित करेंगे ताकि वे खुद को उपकरण और निर्माण की विशिष्टता से परिचित करा सकें। दूसरे चरण में जीएसएल में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित पर्याप्त काम किया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि यह फ्रिगेट भारतीय और रूसी दोनों उपकरणों को संचालित करने के लिए बनाए जा रहे थे। जीएसएल में बनने वाले पहले जहाज की शुरआत जनवरी में और दूसरे जहाज की इस साल जून में की गयी थी। नौसेना ने हाल ही में कहा था कि इनमें से पहला जहाज 2026 में और दूसरा छह महीने बाद दिया जाएगा। नवंबर 2018 में जीएसएल ने रूस के रोसोबोरोनएक्सपोर्ट के साथ स्थानीय रूप से दो फ्रिगेट के निर्माण के लिए सामग्री, डिजाइन और विशेषज्ञ सहायता के लिए $ 500 मिलियन के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे और जनवरी 2019 में रक्षा मंत्रालय और जीएसएल के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए।

    नौसेना वर्तमान में दो अलग-अलग बैचों में खरीदे गए छह क्रिवाक श्रेणी के युद्धपोतों का संचालन करती है।

    By आदित्य सिंह

    दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास का छात्र। खासतौर पर इतिहास, साहित्य और राजनीति में रुचि।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *