भारत दौरे पर आए रुसी राष्ट्रप्रति ने भारत को संशाधन का धनी आर्कटिक क्षेत्र में प्रवेश का प्रस्ताव दिया है। रुसी राष्ट्रपति ने यह घोषणा एक आयोजन के दौरान की।
उन्होंने कहा बढ़ती ऊर्जा की मांग की आपूर्ति के लिए भारत उत्तरी समुन्द्र के मार्ग के द्वारा यूरोप से जुड़ सकता है। भारत जैसे अधिक ऊर्जा की खपत वाले देश में रूस का यह ऑफर एक नायाब तोहफा है।
रुसी राष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस विषय पर उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा भारतीय साझेदार को आर्कटिक क्षेत्र में रूस तहेदिल से आमंत्रित करता है। इससे भारत रूस संबंध और भी मजबूत होंगें।
उन्होंने कहा यह प्रोजेक्ट बेहद लम्बी अवधि और गंभीर हितों के लिए है। इस प्रोजेक्ट में उत्तम निवेश करने से परिणाम भी अव्वल दर्जे के मिलेंगे। उत्तरी जलमार्ग भारत को अवसरों को भुनाने के लिए आमंत्रित कर रहा है।
उन्होंने कहा रूस इस अभियान के लिए परमाणु से लैस बेड़ा और आठ परमाणु जहाजों का निर्माण कर रहा है। इस कार्य अभी निर्माणाधीन है। इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद रूस वैश्विक बाज़ारों में आसानी से प्राकृतिक गैस का निर्यात करने में सक्षम होगा। भारत के इस अभियान में साझेदारी से इसका आनंद दोगुना हो जायेगा।
सालाना सम्मलेन के समापन के बाद दोनों राष्ट्रों के प्रमुखों ने साझा बयान दिया कि यह भारत और रूस के मध्य साझेदारी का आगाज़ है। साथ ही दोनों सरकारों ने क्षेत्रीय विकास में सहयोग का आश्वासन दिया। राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी को यकीन दिलाया कि मास्को भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता के लिए ऊर्जा का निर्यात करता रहेगा।
इससे पूर्व साल 2017 की बैठक में राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और यूरोप को जोड़ने वाले गैस निर्यात मार्ग को तलाशने का साझा प्रयास किया था।
आर्कटिक क्षेत्र क्या है?
अर्कटिक पेट्रोलियम और मिनरल संशाधनों का धनी क्षेत्र है। इस समय अर्कटिक समस्त विश्व के दसवें भाग तक तेल की आपूर्ति करता है।
साथ ही एक चौथाई प्राकृतिक गैस का उत्पादन भी यही होता है। इसके अलावा अर्कटिक में निकेल, कॉपर, गोल्ड, यूरेनियम, टंगस्टन और डायमंड के संसाधनों की भरमार है।