भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने एएफपी से कहा कि “भारत आश्वस्त है कि रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए वह अमेरिकी प्रतिबंधों को नज़रअंदाज़ करेगा। अमेरिकी प्रशासन को भारत को सुनना व समझना होगा।” इस रक्षा प्रणाली की कीमत 5.2 अरब डॉलर है।
बीते अक्टूबर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इस डील पर रज़ामंदी जाहिर की थी। जबकि रुसी सैन्य उपकरणों को खरीदने पर अमेरिका ने प्रतिबन्ध लगा रखे हैं। बीजिंग ने बीते वर्ष रूस से एस-400 और अन्य उपकरण ख़रीदे थे, इस पर ट्रम्प प्रशासन ने चीनी सेना पर प्रतिबन्ध लगा दिए थे।
एस-400 की खरीद के लिए अमेरिका ने नाटो के सदस्य तुर्की को भी चेतावनी दी थी। सीतारमण ने कहा कि “अमेरिका को समझना होगा कि भारत दो राष्ट्रों चीन व पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करता है और इसके लिए हमें रूस व अन्य राष्ट्रों से हथियारों की आवश्यकता है ताकि हम एक मज़बूत साझेदार बने रहे।”
उन्होंने कहा कि “भारत की सेना को हथियार मुहैया करने वाला रूस पुराना साझेदार है, तब अमेरिकी प्रतिबन्ध लागू भी नहीं हुए थे। एस 400 के मामले में हमने खुद को भी समझाया है और इसे सुनना और समझना चाहिए।”
रूस के साथ समझौते के अंतिम रूप से पूर्व अमेरिका ने कास्टा कानून को पारित कर दिया था जो विशेषकर रूस पर प्रतिबंधों के लिए था। इंडो पैसिफिक सुरक्षा मामले के उप सचिव रैंडल स्क्रीवर ने मार्च में कहा कि “वांशिगटन इस समस्या पर कार्य करना चाहता है। भारत एक महत्वपूर्ण उभरता हुआ रणनीतिक साझेदार है।”
उन्होंने कहा कि “रूस के साथ भारत का कॉन्ट्रैक्ट अभी पूरा नहीं हुआ है और अमेरिका भारत को वैकल्पिक विकल्प देने के लिए तैयार है। हम भारत को क्षमतावान विकल्प मुहैया करने के लिए कार्य कर रहे हैं।”
भारत के साथ अमेरिका एक उलझी हुई स्थिति में है। वह चीन को काउंटर करने के लिए भारत के साथ संबंधों का विस्तार करना चाहता है। साल 2017 में भारत और चीन की सेना के बीच भूटान में गतिरोध हो गया था। तब से चीन संबंधों को सुधरने की जुगत में लगा हुआ है।
सीतारमण ने कहा कि “कभी कभार मतभेद होते हैं और आप आमने-सामने होते हैं। लेकिन हमारी कोशिशों ने इस मतभेद को विवाद नहीं बनने दिया था। हमारे कानूनी इलाको पर पाकिस्तान का गैर कानूनी आधिपत्य है, और वह क्षेत्र चीन-पाक आर्थिक गलियारे के लिए इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए हमारी स्थिति एकदम स्पष्ट है, हम बीआरआई से जुड़े किसी भी समारोह में शामिल होंगे और हम अपनी स्थिति पर अडिग रहेंगे।”