भारत एक बहुत ही अजीबो गरीब देश है यहां हर विषय, मुद्दे, स्तिथि और परिस्थिति के संबंध में आपको कहावत मिल जएगी और ऐसा ही कुछ हमारी इस स्तिथि को लेकर भी है जो इसे पूरी तरह से परिभाषित करता है। खैर अपने यह तो सुना ही होगा की “दीवारों के भी कान होते है“, लेकिन जब बात राजनीति की आती है तो हम कहेंगे कि दीवारों के कान के साथ आँख, नाक और गला भी होता है, जिसका नमूना हमें इस ऑडियो के रूप में देखने को मिल रहा है, इसलिए नेताओं से कहा जाता है जो भी बोले सोच के बोले और बोलने से पहले एक बार फिर से सोच लें वरना हाल शायद कुछ विजय रूपानी जैसे हो जाता है। हां, अब यह बाद की बात है कि यह ऑडियो गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी का है कि नहीं लेकिन जब तक यह सिद्ध नहीं होता तब तक तो हमारे भारत में यही समझा जाता है कि गुनाह तो हुआ है।
आपको बता दें जिस प्रकार उस ऑडियो में बातें कहीं गई है उस पर अभी तक किसी की आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऑडियो में विजय रूपानी और नरेश संगीतम बातें कर रहें है, वह नरेश से कह रहे हैं कि इस समय भाजपा में मेरी स्थिति दयनीय है क्योंकि मैं इकलौता जैन सीएम हूं। रुपानी ने आगे कहते हुए कहा कि मुझे नरेंद्र भाई का फोन आया था। उन्होंने मुझे कहा कि 5 फीसदी जैन होने के बाद भी हमने जैन मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद रूपानी नरेश से पूछते हैं कि क्या सुरेंद्रनगर में जैन माने या नहीं माने?
वैसे बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ही केवल ऐसे शख्श नहीं है जो ऐसे विवाद में फंस चुके है क्यूंकि इस चुनावी राजनीति में शाम-दाम-दण्ड-भेद छल, कपट, प्रपंच का भरपूर प्रयोग किया जा रहा है, जिसमें तमाम नेता, तरह-तरह के ऑडियो और वीडियो के कारण सुर्ख़ियों में आ चूंके है, पाटीदार समाज के हार्दिक पटेल का नाम इसमें प्रमुख रूप से आता है।