हाल में भारी दबाव से गुजरने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था के ऊपर से अभी संकट के बादल अभी छटे नहीं हैं, एक रिपोर्ट ने दावा किया है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में लगातार कच्चे तेल के दामों को देखते हुए रुपये के दबाव में आने के आसार हैं, ऐसे में रुपया अगले तीन महीनों में ही 76 का आँकड़ा छू सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में डॉलर के मुक़ाबले रुपये ने आज के दिन की शुरुआत 31 पैसे कमजोर होकर की है। रुपया आज 72.76 प्रति डॉलर पर खुला है, जबकि कल पिछली बार रुपया 72.45 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में बढ़ते कच्चे तेल के दामों, डॉलर के मुक़ाबले कमजोर होते रुपये और देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई कमी के चलते भारी नुकसान उठाया है।
इसी के चलते स्वीडन की रिपोर्ट एजेंसी यूएसबी ने बताया है कि “यदि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँचते हैं, डॉलर के मुक़ाबले रुपया अगले 3 महीनों में ही गिरकर 76 के आंकड़े को पार कर सकता है।”
हालाँकि भारतीय मुद्रा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए भारत की केंद्रीय बैंक फोरेक्स बाज़ार में लगातार हस्तक्षेप कर रही है, यही वजह है कि इस दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जबर्दस्त कमी आई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 अरब डॉलर गिरकर 368 अरब डॉलर तक पहुँच गया है।
आरबीआई ने देश की अर्थव्यवस्था में संतुलन कायम रखने के उद्देश्य से ही इस साल अपने रेपो रेट में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं किया था।
मालूम हो कि अमेरिका की फेडरल रिज़र्व ने अपनी दरों में किसी भी तरह की छूट देने से मना कर दिया था, जिसके चलते डॉलर के मुक़ाबले अन्य सभी देशों की मुद्राओं को कमजोरी का सामना करना पड़ा था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था में उत्पन्न ये हालात पिछले पाँच सालों में लचर मौद्रिक व वित्त नीतियों का नतीजा हैं। इसी के साथ हाल ही में सामनी आई पीएनबी घोटाले व IL&FS की घटना ने भी बाज़ार के आर्थिक स्वरूप को हिलाकर रख दिया है।
मालूम हो कि देश में अगले साल होने जा रहे आम चुनाव के चलते केंद्र भी देश की अर्थव्यवस्था को जल्द से जल्द काबू में करना चाहता है, वहीं हाल ही में आरबीआई और केंद्र के बीच पैदा हुई तकरार देश के आर्थिक विकास में एक बाधा की तरह नज़र आ रही है।