अमेरिका ने ईरान के साथ साल 2015 में हुई संधि तोड़ने के बाद प्रतिबन्ध लगा दिए थे। ईरान पर अमेरिका के पहले चरण के प्रतिबन्ध मई, जबकि दूसरे चरण के प्रतिबन्ध 5 नवम्बर से लागू हुए थे। इन प्रतिबंधो ने ईरान की बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की कमर तोड़कर रख दी है।
भारत जारी रखेगा तेल खरीदना
भारत अब अपनी राष्ट्रीय मुद्रा रूपए में ईरान से तेल आयात करेगा, ईरान की 50 फीसदी रकम का भुगतान तेहरान को भारतीय माल के निर्यात के रूप में किया जायेगा। सूत्रों के मुताबिक भारतीय राज्य अधिकृत यूको बैंक आगामी दस दिनों में रकम चुकता करने के यंत्र का ऐलान करेगा।
भारतीय सरकार के दस्तावेजों के मुताबिक भारत और ईरानी सरकार के बीच तेल की कीमत रूपए मुद्रा में अदा करने के बाबत समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत 50 फीसदी रकम रूपए में और शेष भारतीय उत्पादों का निर्यात करके अदा की जाएगी।
रुसी और चीनी शिपिंग कंपनियां भी अपने लिए भारत-ईरान व्यापार सुविधा से सम्बंधित बातचीत कर रही है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत इरान को कृषि वस्तुएं, खाद्य उत्पाद, दवाइयां और मेडिकल यंत्र निर्यात करेगा। हालांकि पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों, ऑटोमोबाइल, स्टील, कीमती धातु और ग्रेफाइट ईरान को निर्यात करने की अनुमति नहीं है।
भारत को अमेरिका ने दी थी रियायत
हाल ही में अमेरिका ने भारत सहित सात देशों को ईरान के प्रतिबंधों से छूट दी थी। अलबत्ता यह रियायत केवल छह माह तक ही सीमित है। अमेरिका के मुताबिक सभी देशों को अगले छह माह तक ईरान से तेल आयत शून्य करने होंगे, अन्यथा नियमों का उल्लंघन करने वाले देश को भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना होगा।
भारत ने यूएन की बैठक में किया था ऐलान
भारत की विदेश मन्त्री सुषमा स्वराज ने न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन के इतर ईरान के विदेश मन्त्री से द्विपक्षीय मुलाकात की थी। इस दौरान भारत ने ईरान के साथ तेल व्यापार जारी रखने का ऐलान किया था हालांकि उस दौरान अमेरिका से रियायत को लेकर बातचीत जारी थी।