रुसी विभाग ने सूचना जारी कर बताया कि भारत के आगामी दो दिवसीय दौरे पर रुसी राष्ट्रपति व्लामिदिर पुतिन नई दिल्ली के साथ हुए एस-400 वायु रक्षा प्रणाली के सौदे पर हस्ताक्षर कर देंगे।
भारत के साथ हुए समझौते के बाद रुसी विभाग द्वारा जारी यह पहली अधिकारिक सूचना थी। रुसी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री 5 अक्टूबर को द्विपक्षीय वार्ता में हिस्सा लेंगे।
भारत की एस-400 रक्षा प्रणाली के सौदे से अमेरिका नाराज़ है। अमेरिका ने भारत और अन्य देशों को इस सौदे को मंज़ूरी देने पर प्रतिबन्ध लगाने की धमकी दी है।
मास्को की मीडिया खबरों के मुताबिक रुसी विभाग ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा है कि भारत के साथ आगामी वार्ता में सैन्य सहयोग एक मह्त्वपूर्ण मुद्दा होगा। इस दौरे के दौरान दर्जनों समझौतों पर दस्तखत किये जायेंगे।
उन्होंने कहा भारत और रूस साल 2015 से इस रक्षा प्रणाली के सौदे पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि काफी देश अमेरिका की टर्मिनेट हाई अल्टिट्युड एरिया डिफेन्स (टीएचएएडी) प्रणाली की बजाए एस-400 रक्षा प्रणाली को खरीदने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं।
भारत और रूस की एस-400 डील अमेरिका को गुस्सा कर सकती है। हाल ही में अमेरिकी विभाग ने चीन की सेना पर रूस से रक्षा उपकरण खरीदने के कारण प्रतिबन्ध लगाया था। यह प्रतिबन्ध चीन पर हाल ही में अमेरकी संसद में पारित हुए नियम ‘कासटा अर्थात अमेरिकी नीतियों के विरोधियों पर प्रतिबन्ध लगाने का अधिनियम’ के तहत लगाया गया।
हाल ही में भारत की अमेरिका के साथ हुई 2+2 वार्ता में अमेरिकी विदेश सचिव ने कहा था कि एस-400 पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
भारत और अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा टीम कासटा में धारा 231 को जोड़ने के लिए कार्य कर रही है। भारत ने अमेरिका को इस वार्ता के दौरान यह यकीन दिलाने की कोशिश की कि नई दिल्ली की कमजोर स्थिति यूएस के हित में नहीं है।
एस-400 प्रणाली 400 किलोमीटर के दारे में युद्धविमान, बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल पर निशाना साध सकती है। प्रथम एस-400 प्रणाली का साल 2007 में रुसी रक्षा विभाग ने संचालन किया था। साल 2015 में इस प्रणाली का इस्तेमाल सीरिया में रुसी समुंद्री और हवाई उपकरणों के बचाव के लिए भी किया गया था।