डॉलर के मुक़ाबले रुपया 43 पैसे गिरकर 72.91 पर पहुँच गया है। प्रदर्शन के मामले में यह रुपये का पिछले 2 हफ्तों में सबसे स्तर है।
फिलहाल बाज़ार के हालात न सुधरता देख आरबीआई ने बाज़ार में 36,000 करोड़ रुपये की पूंजी लगाने का फैसला किया है। बावजूद इसके अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा लगातार कमजोर होती दिख रही है।
अमेरिकी डॉलर की तुलना में फिलहाल सभी वैश्विक मुद्राएँ खराब प्रदर्शन कर रही है। इन सभी की तुलना में डॉलर पिछले एक महीने के अपने उच्चततम स्तर पर है।
वैश्विक बाज़ार में कच्चे तेल के दाम में करीब 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली है, इसी के साथ प्रति बैरेल कच्चे तेल की कीमत 82.94 डॉलर प्रति बैरल तक पहुँच गयी है।
लगातार गिरते रुपये का मूल्य ही बाज़ार के न उठ पाने का कारण बनता जा रहा है। ये हालत पिछले कई दिनों से बने हुए हैं, जब डॉलर के मुक़ाबले रूपया मजबूत होने का नाम नहीं ले रहा है और इसी के साथ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम और बढ्ने से भारत पर दोगुना बोझ पड़ रहा है।
इसका असर भारतीय बाज़ार पर देखने को मिल रहा है। भारत में तेल के आसमान छूते दामों की वजह भी यही है। अब देखना ये होगा कि डॉलर के मुक़ाबले अन्य सभी मुद्राएँ कब तक अपनी स्थिति में सुधार कर पाती हैं।