पिछले छः महीनों से लगातार कमजोर होते जा रहे रुपये की हालत को सुधारने के लिए भारत सरकार अब विदेशों में बसे भारतियों यानी एनआरआई लोगों से मदद माँग सकती है।
सूत्रों के अनुसार इसे लेकर वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और केंद्रीय रिज़र्व बैंक के बीच बात चल रही है। इसके तहत रुपये को मजबूत करने के लिए विदेशों में रहने वाले भारतियों से मदद मांगी जाएगी। सूत्रों की माने तो सरकार इसे लेकर जल्द ही कोई घोषणा कर सकती है।
डॉलर के मुक़ाबले 14 प्रतिशत तक गिर चुके रुपये के सुधार को लेकर सरकार बराबर प्रयासरत है। रुपया इस समय पूरे एशिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा का तमगा हासिल कर चुका है। देश के चालू वित्तीय खाते को अधिक घाटे से बचाने के लिए जरूरी है कि भारतीय मुद्रा की कीमत में सुधार हो।
इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के हालत भारत के लिए बिलकुल भी अनुकूल नहीं हैं। एक ओर जहां कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डॉलर के मुक़ाबले रुपया लगातार नए न्यूनतम स्तर को छूता जा रहा है। इसी के साथ रही बची कसर अमेरिका अपनी ब्याज दरों में वृद्धि करके पूरा कर दे रहा है।
ऐसे में जरूरी है कि रुपये का स्तर कुछ बेहतर हो। आरबीआई इसके लिए एक पॉलिसी पहले ही ला चुका है, जिसका उपयोग एनआरआई की मदद से रुपये की स्थिति को बेहतर करना है। आरबीआई ने इसका उपयोग वर्ष 2013 में भी किया था।
इसी के साथ ही विदेशी निवेशक भारतीय बाज़ार से बहुत तेज़ी से पैसा निकाल रहे हैं। जिसके चलते इस समय भारत के बाज़ार में एक अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
इसके पहले सरकार 19 तरह की वस्तुओं पर लगने वाले आयात शुल्क को बढ़ा चुकी है।