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    रिलायंस

    भारती एयरटेल के चेयरमैन सुनील मित्तल ने कहा कि रिलायंस जियो के फ्री कालिंग और डेटा ऑफर्स के चलते दूरसंचार कंपनियों को 300000 करोड़ का घाटा हुआ है। जाहिर है, टेलिकॉम सेक्टर पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ था, लेकिन जियो के आने के बाद से कंपनियां और भी घाटे में चली गईं।

    ईटी को दिए एक साक्षात्कार में मित्तल ने कहा कि टेलिकॉम सेक्टर में तेजी से हुए एकीकरण के बाद भारतीय एयरटेल को काफी फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि जियो की ओर से फ्री सर्विसेज में तेजी के बावजूद भी वोडाफोन भारत-आइडिया सेलुलर गठबंधन को पछाड़ते हुए भारती एयरटेल मार्च 2019 तक राजस्व बाजार हिस्सेदारी मेें नंबर वन स्लॉट पर ​काबिज हो सकती है।

    मित्तल ने कहा ​टेलिकॉम सेक्टर में कंपनियों का मर्ज होना तो अपेक्षित ही था, लेकिन सेक्टर में दूसरे नंबर की कंपनी वोडाफोन और तीसरे पायदान पर रहने वाले आइडिया का विलय होना, यह अपने आप में अभूतपूर्व है। क्योंकि आप ने कभी दो मजबूत कंपनियों का विलय नहीं देखा होगा।

    भारती एयरटेल के चैयरमैन मित्तल ने आगे कहा कि उनकी कंपनी एयरसेल को अधिग्रहित करने के लिए बातचीत के दौर मेंं है, जिसका अभी हाल में ही रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के साथ विलय हुआ था। उन्होंने कहा, एयरसेल के अलावा यदि और भी टेलिकॉम आॅपरेटर्स के साथ विलय की संभावना बनती हैं, तो इसमें कोई शक नहीं कि हम भी इस बातचीत का हिस्सा होंगे।

    आप को जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल एक व्यापारिक समझौते के तहत एयरटेल ने 3500 करोड़ रूपए में एयरसेल से 2300 मेगाहट्र्ज बैंड के 4जी टॉवर के आठ सर्किल खरीदे थे। गौरतलब है कि सितंबर 2016 में रिलायंस जियो के फ्री कॉल्स और डाटा टैरिफ प्लान ने टेलिकॉम सेक्टर के विभिन्न कंपनियों को आपस में जूझने पर मजबूर कर दिया। इस प्रकार भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया जैसी पुरानी दूरसंचार कं​पनियों ने भी अपने कस्टमर्स को बनाए रखने के लिए टैरिफ प्लान को बड़े नाटकीय ढंग से बिल्कुल नीचे गिरा दिया।

    आपको बता दें कि इस साल अप्रैल महीने से ही जियो असीमित समय के लिए फ्री वॉयस कॉलिंग सुविधा के अलावा बिल्कुल कम कीमत पर ज्यादा डेटा दे रहा है। मित्तल का मानना है कि प्राइस वॉर में यह तेजी अभी दो तिमाही तक स्थायी रूप से बनी रहेगी। इस प्राइस वॉर के चलते सभी टेलिकॉम कंपनियों के राजस्व, मुनाफे और नकदी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। यहां तक कि वोडाफोन और आइडिया को एक दूसरे में विलय होने पर मजबूर होना पड़ा, यहीं नहीं आरकॉम और एयरसेल जैसी छोटी कंपनियां अपने अस्तित्व से जूझती दिखाई दे रही हैं।

    सुनील मित्तल के मुताबिक जियो के कारण कई टेलिकॉम कंपनियों को 40-50 अरब डॉलर का घाटा हुआ। जियो के चलते कई विदेशी विनिवेशकों ने निवेश नहीं किया। जियो ने जिस तरह से पूरे एक साल तक प्रमोशन आॅफर दिया, यह बिल्कुल सही कदम नहीं था। यदि ऐसा यूरोप या फिर अमेरिका में होता तो जियो के इस प्रमोशनल आफर को प्रतिबंधित कर दिया जाता।

    उन्होंने कहा कि निवेश में घाटे के चलते ही वोडाफोन, टेलीनॉर, एटिसलट, टाटा टेलीसर्विसेज और रिलायंस कम्युनिकेशंस इस महीने के अंत तक अपनी वॉयस सर्विसेज बंद करने जा रहे हैं। मित्तल ने कहा कि केंद्रीय ​कैबिनेट को दूर संचार उद्योग के लिए एक राहत पैकेज देने पर विचार करना चाहिए जिसके तहत लाइसेंस शुल्क और स्पेक्ट्रम यूजर चार्ज को कम करना आदि जैसे अन्य उपाय शामिल हैं।

    उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से जो 16 साल तक ब्याज में जो काई छूट नहीं दी जा रही है, यह ​टेलिकॉम सेक्टर के लिए बिलकुल पर्याप्त नहीं है। सरकार घाटे में चल रही टेलिकॉम सेक्टर को 5 लाख करोड़ रूपए का मदद देना चाह रही थी, लेकिन एक बड़ी कंपनी (जियो) के विरोध के चलते ऐसा नहीं हो पाया।