दूरसंचार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी जारी है। आप को जानकारी के लिए बता दें कि पिछले एक साल में टेलिकॉम सेक्टर से करीब 75000 लोगों की नौकरियां छिन चुकी हैं। दूरसंचार क्षेत्र इस समय पांच लाख करोड़ रूपए के कर्ज से जूझ रहा है, यही नहीं इस सेक्टर को राजस्व, मुनाफे तथा नकदी संकट का भी सामना करना पड़ रहा है। (सम्बंधित : टेलिकॉम जगत में एक साल में 75,000 लोगों की नौकरियां छिनी )
पिछले साल सितंबर महीने में टेलिकॉम सेक्टर में रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से ये परिस्थितियां उपजी हैं। टेलिकॉम सेक्टर में दूसरे नंबर की कंपनी वोडाफोन इंडिया और तीसरे स्थान पर काबिज रहने वाली आइडिया सेल्युलर के बीच विलय की बातचीत जारी है, वहीं टेलीनॉर इंडिया को खरीदने वाले भारती एयरटेल ने टाटा टेलिसर्विसेज के वायरलेस बिजनेस को भी खरीदने की घोषणा कर दी है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस यानि आरकॉम भी नवंबर के अंत तक अपने वायरलेस बिजनेस को बेच सकता है, जबकि एयरसेल भी अपने कुछ एरिया सेवाओं को कम कर नए सर्किल पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है। गौरतलब है कि अब केवल मोबाइल फोन आॅपरेटर्स ही नहीं बलिक वेंडर सेंगमेंट और टॉवर कंपनियां भी इस सेक्टर में अपना प्रभाव क्षेत्र कम कर रही हैं।
आप को बता दें कि दूरसंचार सेक्टर में कुछ महीने पहले जहां आठ बड़े आॅपरेटर्स काम रहे थे वहीं अब इनकी संख्या घटकर मात्र दो रह गई है। रिक्रूटर्स का कहना है कि उनके पास कम से कम 35-40 फीसदी ऐसे लोगों के आवेदन आए हैं, जो जल्द से जल्द टेलिकॉम सेक्टर से निकलना चाहते हैं। ये कर्मचारी ई-कॉमर्स, ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक्स और एफएमसीजी जैसे क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार हैं।
टेलिकॉम सेक्टर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि जिन लोगों को नौकरी छोड़ने की नोटिस दी गई है, उन्हें कुछ महीनों की मजदूरी भी दी जा चुकी है। नाम ना छापने की शर्त पर एक अन्य अधिकारी ने बताया कि दूर संचार विभाग अपनी लागतें कम करने तथा व्यापार दृष्टिकोण को बदलने के लिए कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है।
सर्च फर्म हेडहंटर के चैयरमैन क्रिस लक्ष्मीकांत का कहना है कि सीनियर मैनेजमेंट स्तर के कर्मचारियों की नियुक्ति में 10 से 15 फीसदी की कमी के चलते इस सेक्टर के कार्यक्षमता में भी 25 से 33 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। स्टाफिंग फर्मों के मुताबिक अब सेक्टर में अनुबंध वाले ऐसे कर्मचारियों को रखा जा रहा है जो सॉफ्टवेयर एक्सपर्ट भी हों तथा टॉवर और अन्य बुनियादी ढांचे की भी जानकारी रखते हों।
टीमलीज सर्विसेज की कार्यकारी उपाध्यक्ष रितुपर्णा चक्रवती का कहना है कि पिछले एक साल से आॅपरेटर्स की ओर से सुस्ती देखने को मिली है। लेकिन टॉवर, फाइबर केबल्स बनाने वाली कंपनियां जिस तरीके से निवेश कर रही हैं उससे उम्मीद की जा सकती है कि इस बिजनेस में कुछ लोगों की भर्ती की जाएगी।