भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम ऑपरेटर्स में शुमार रिलायंस जिओ इन्फोकोम्म ने मंगलवार को अपनी फाइबर एवं टावर की परिसम्पतियाँ को दो अलग अलग कंपनियों को थमाने की योजना को मंजूरी दी है।
जिओ ने हाल ही में फाइलिंग के समय यह बयान दिया कि “कंपनी के फैसला कर्ताओं ने अपने फाइबर एवं टावर उपक्रम के स्थानान्तरण को मंजूरी दे दी है एवं यह दो अलग संस्थाओं को दिया जा रहा है।”
आपको बता दें की जिओ के पूरे भारत में 2 लाख से ज्यादा टावर एवं तीन लाख किलोमीटर से ज्यादा में फैला फाइबर का नेटवर्क है। ये फाइबर का नेटवर्क सिर्फ जिओ के उपयोग एवं अधिकतम फायदे के लिए अनुबद्ध है। यह रिलायंस का भाग है एवं भारत के कुछ शीर्ष ऑपरेटर्स में से एक है।
जिओ की योजना
जिओ ने यह भी घोषित किया कि वह डेन नेटवर्क्स में 2,290 करोड़ में 66 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करेगी एवं हाथवे केबल्स को 2940 करोड़ रूपए चुकाकर उसकी 51.3 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करेगी। जिओ के अनुसार हाल ही का कदम उसे अपने संसाधन दुसरों को भी फायदा पहुचाने के काम आयेंगे।
अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन ने 2017 में जिओ को वायरलेस स्पेक्ट्रम, टावर, फाइबर एवं कुछ अन्य संपत्तियों की बिक्री के लिए समझौते सत्यापित किये थे लेकिन टेलिकॉम डिपार्टमेंट से इसे अभी तक यह समझोते का समापन करने की अनुमति नहीं मिली है। रिलायंस कम्युनिकेशन यह अनुमति जल्द से जल्द पाने के भरसक प्रयास कर रहा है।
जिओ का इतिहास
जिओ की सिम भारत में 5 सितम्बर 2016 को लांच कि गयी थी एवं सिर्फ दो साल में इसने 252 मिलियन ग्राहक जोड़ लिए हैं। शुरू में जिओ ने 3 महीने फ्री सेवाएं दी थी जिससे भारतीय जनता इसकी तरफ आकर्षित हुई थी।
इस कंपनी ने 2018 की तीसरी तिमाही में अकेले 681 करोड़ का लाभ कमाया जबकि पिछले साल इसे 271 करोड़ की हानि हुई थी। पिछली तिमाही से इसका लाभ 11 प्रतिशत बढ़ गया है। 2018 की दूसरी तिमाही में इसे 612 करोड़ का लाभ हुआ था।