Tue. Nov 5th, 2024
    कारोबारियों को बड़ी राहत

    गुवाहाटी में आयोजित की गई जीएसटी काउंसिल की मीटिंग के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की अगुवाई वाली समिति ने कारोबारियों की अधिकांश समस्याओं को हल कर दिया है। कारोबारियों की पहली मांग थी​ कि 28 प्रतिशत स्लैब में ज्यादा प्रोडक्ट्स है, इसमें कटौती की जाए। दूसरी सबसे प्रमुख मांग यह थी कि रिटर्न फाइल करने में व्यापारियों को दिक्कतें आ रही हैं।

    आपको जानकारी के लिए बता दें कि जीएसटी काउंसिल ने करीब 178 वस्तुओं को 28 फीसदी के स्लैब से घटाकर 18 फीसदी के स्लैब में कर दिया है। यहीं नहीं 18 फीसदी की भी कई वस्तुओं को घटाकर 12 फीसदी के स्लैब में लाया गया है।

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    इसके बाद कारोबारियों की जो सबसे बड़ी शिकायत थी कि रिटर्न फाइलिंग करने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे में शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल ने कारोबारियों को राहत प्रदान करते हुए रिटर्न फाइलिंग के नियमों को भी आसान बना दिया। यही नहीं रिटर्न फाइलिंग में देरी होने वाले जुर्मानें में भी कटौती कर दी गई।

    अरूण जेटली की अगुवाई वाली काउसिंल ने उन कारोबारियों के लिए जीएसटी—3बी फार्म को आसान बना दिया है जिन पर शून्य कर देनदारी का दायित्व है या फिर चालान में रिटर्न फाइलिंग का कोई लेनदेन नहीं है।

    आपको बतादें कि जीएसटी पोर्टल पर करीब 40 फीसदी कारोबारों को शून्य कर देयता की श्रेणी में रखा गया है। यही नहीं काउंसिल ने रिटर्न फाइल के समय लगने वाले जुर्माने की देयता को भी कम ​कर दिया है।

    राजस्व सचिव हसमुख अधिया के मुताबिक रिटर्न फाइलिंग के समय शून्य देनदारी वाले करदाताओं से 200 रूपए लिए जाने वाले जुर्माने की राशि घटाकर अब 20 रूपए प्रतिदिन के हिसाब से तय कर दी गई है।

    देश के व्यापार जगत ने विभिन्न वस्तुओं से जीएसटी रेट घटाए जाने के फैसले का तहेदिल से स्वागत किया है। उम्मीद जताई जा रही है कि काउंसिल के इस फैसले के बाद उपभोक्ताओं तथा कारोबारियों दोनों को एक बड़ी राहत मिलेगी।

    एसोचैम के महासचिव डी एस रावत का कहना है ​जीएसटी के तहत छोटे व्यापारी अब अपने कारोबार को पूरे पारदर्शिता के साथ नि:संन्देह उंचाईयों तक ले जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी के इस फैसले का परिणाम केवल महीने—दो महीने में दिखना शुरू हो जाएगा।
    हांलाकि सीमेंट उद्योग जगत से जुड़े संगठनों ने सीमेंट को 28 फीसदी के स्लैब में रखे जाने पर निराशा व्यक्त की है।

    इस संगठन के कारोबारियों का कहना है कि सीमेंट को विलासिता जैसी वस्तुओं के दायरे में रखना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। इन कारोबारियों का कहना है कि सीमेंट तो ‘स्वच्छ भारत’ और ‘सबके लिए मकान’ तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं के दौरान काम आने वाली एक महत्वपूर्ण सामग्री है।

    ऐसा माना जा रहा है कि जीएसटी काउंसिल की ओर से लिए गए इस फैसले से सरकार को वार्षिक तौर पर करीब 20,000 करोड़ रूपए सालाना राजस्व का नुकसान होगा बावजूद इसके सरकार ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी नियमों के बेहतर पालन से इसकी भरपाई आसानी से की जा सकेगी।