नई दिल्ली, 30 मई (आईएएनएस)| भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने गुरुवार को इंडिया-ए और उत्तर प्रदेश टीम के खिलाड़ी रिंकू सिंह को अबू धाबी में खेले गए अनाधिकृत टी-20 टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर कर दिया है। बोर्ड ने उन्हें तीन महीनों के ल्ििलए निलम्बित किया है। उनका निलम्बन एक जून से प्रारंभ हो रहा है।
मीडिया टीम के सदस्य ने बताया कि इस फैसले में जांच नहीं की गई और यही अंतिम फैसला बता दिया गया है।
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए इस पर सवाल उठाए हैं और कहा कि क्या बोर्ड ने प्रतिबंध से पहले प्रोटोकॉल का पालन किया है।
अधिकारी ने प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या बोर्ड ने प्रतिबंध लगा ऐसा उदाहरण तय किया है जहां खिलाड़ी घरेलू सीजन खत्म होने के बाद अनाधिकृत लीग में खेले और प्रतिबंधित हो जाए और फिर जब घरेलू सीजन शुरू हो तो वह खेलने के लिए तैयार है। अधिकारी ने भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी इरफान पठान के कैरिबियन प्रीमियर लीग (सीपीएल) ड्रॉफ्ट में अपना नाम भेजने पर भी सवाल खड़े किए हैं।
अधिकारी ने कहा, “अगर कोई अनाधिकृत लीग मई में खत्म होती है तो खिलाड़ी वहां खेल सकता है और उस पर तीन महीनों का प्रतिबंध लगाया जा सकता है।इसके बाद जब अगला घरेलू सीजन शुरू होगा, तब क्या होगा? तब किस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। क्या उन्होंने इस लेकर उदाहरण तय किए हैं? यह बीसीसीआई के नियमों का गंभीर उल्लंघन है। क्या यह मोल-भाव करने के लिए सिर्फ टोकन मात्र सजा है? यह बीसीसीआई के नए संविधान के पालन में आने वाले कुछ गंभीर मुद्दे हैं। उल्लंघन के मामले में शीर्ष परिषद नियम 31 के तहत फैसला लेने वाली है, लेकिन नियम 41 (1) (सी) यहां नियमों के उल्लंघन में लोकपाल को एंट्री करा देता है। वहीं इसी समय इरफान पठान के मामले को लेकर कोई जानकारी नहीं है। बीसीसीआई में से किसने उन्हें सीपीएल में अपना नाम भेजने के लिए कहा? क्या अलग-अलग खिलाड़ियों और अधिकारियों के लिए अलग-अलग नियम हैं?”
बीसीसीआई के संविधान के मुताबिक, कोई भी खिलाड़ी किसी भी तरह के गैर मान्यता प्राप्त टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले सकता। बीसीसीआई से संबंध रखने वाले खिलाड़ी, अधिकारी, स्कोरर और अन्य शख्स किसी भी गैरमान्यता प्राप्त टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले सकते।