वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सबसे बड़े हेल्थकेयर स्कीम राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना का ऐलान आम बजट में किया है। इसका ऐलान करते हुए जेटली ने वादा किया कि इससे करोडों गरीब लोगों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में फायदा मिलेगा। हेल्थकेयर स्कीम से सरकारी खजाने से प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रुपये का खर्चा होगा।
एक स्वतंत्र अनुमानों के मुताबिक इस योजना से सरकारी खजाने पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अन्तर्गत करीब 10 करोड़ गरीब परिवारों के लिए सालाना 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा करवाया जाएगा। इससे कम से कम 50 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा। जेटली ने इस योजना को दुनिया की सबसे बडी स्वास्थ्य योजना बताया है।
राज्यों के साथ संयुक्त रूप से शुरू करने वाली यह योजना छह से आठ महीनों में शुरू होने की उम्मीद है। सरकार ने कहा है कि आयकर पर अतिरिक्त लगाए गए 1 प्रतिशत उपकर से प्राप्त धन को इस योजना में लगाया जाएगा।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि इस योजना की लागत करीब 10,000 करोड़ रुपये है, जो कि केंद्र सरकार के हिस्से के तौर पर करीब 4,000-5,000 करोड़ रुपये है क्योंकि बाकि हिस्सा राज्यों के साथ साझा किया जाएगा।
सरकार की यह योजना प्रमुख बीमारियों के लिए निर्धारित की गई है। निर्धारित की गई बीमारी के होने पर अस्पताल में भर्ती होने पर ही 5 लाख रूपये तक का बीमे का लाभ मिल सकेगा। माना जा रहा है कि सरकार द्वार प्रति परिवार 1000-1200 रूपये प्रीमियम भी लिया जाए तो 10 करोड लोगों से मिलने वाला प्रीमियम 10,000-12,000 करोड़ रुपए का हो सकता है।
पहले वर्ष में 50 प्रतिशत परिवार होंगे कवर
सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना के हिसाब से पहचान करके पहले साल में 50 प्रतिशत परिवारों को ही इस योजना में शामिल किया जाएगा। इसलिए पहले साल के लिए करीब 5000 करोड़ रूपये की ही आवश्यकता होगी। इस राशि का वहन केंद्र और राज्यों के बीच एक 60:40 अनुपात और पहाड़ी राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में किया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को कहा कि यह योजना केवल निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों पर निर्भर नहीं होगी। राज्य एक ट्रस्ट मॉडल के लिए भी विकल्प चुन सकते है। नीती आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि इस योजना के लिए हमारे पास पर्याप्त धनराशि है।