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नोएडा, 30 जुलाई (आईएएनएस)| रियो ओलम्पिक-2016 में कांस्य पदक जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कहा है कि वह निशानेबाजी को बाहर किए जाने को लेकर बर्मिघम में 2022 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार की पक्षधर नहीं हैं।

ओलम्पिक में कुश्ती का पदक जीतने वाली भारत की एकमात्र पहलवान साक्षी ने आईएएनएस से कहा कि निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर किया जाना अच्छा कदम नहीं है लेकिन इसे लेकर पूरे खेलों का बहिष्कार स्वागत योग्य कदम नहीं होगा।

जूते बनाने वाली जापानी कम्पनी एसिक्स द्वारा ब्रांड एम्बेसेडर चुनी गईं साक्षी ने कहा, “मैं राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार की पक्षधर नहीं हूं। मेरी नजर में इस समस्या का कुछ अलग हल निकलना चाहिए और सबसे अच्छा हल यह है कि निशानेबाजी को फिर से इन खेलों में शामिल किया जाए।”

उल्लेखनीय है कि बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति ने निशानेबाजी को बाहर कर दिया है। इससे भारत को काफी नुकसान होगा क्योंकि भारत ने गोल्ड कोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों के बीते संस्करण में कुल 16 पदक निशानेबाजी में जीते थे। 1970 के बाद से ऐसा पहली बार होगा कि राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी नहीं होगी।

भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) ने आयोजन समिति के इस कदम को लेकर कड़ा रुख अपनाया है और इन खेलों के बहिष्कार की धमकी दी है। इस सम्बंध में आईओए अध्यक्ष नरेद्र बत्रा ने खेल मंत्री किरण रिजिजू को ई-मेल लिखकर इस बात की जानकारी दे दी है कि आईओए सदस्यों के बीच इस बात पर अनौपचारिक चर्चा शुरू हो चुकी है।

साक्षी से जब यह पूछा गया कि ऐसे में जबकि निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर कर दिया गया है तो फिर भारत का अगला कदम क्या होना चाहिए। क्या बहिष्कार एक सकारात्मक कदम हो सकता है?

इस पर अर्जुन पुरस्कार विजेता और राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजी जा चुकीं साक्षी ने कहा, “बहिष्कार काफी गम्भीर कदम होगा। हमें इसके बारे में न सोचकर इस ओर प्रयास करना चाहिए कि निशानेबाजी को फिर से इन खेलों में शामिल कर लिया जाए।”

साक्षी ने कहा, “जब हम किसी खेल आयोजन के लिए जाते हैं तो हमारा एक पूरा दल होता है और निशानेबाज इस दल का हमेशा से अहम हिस्सा रहे हैं। साथ ही निशानेबाजों ने हमेशा से हमारे लिए काफी अधिक पदक भी जीते हैं। ऐसे में मैं तो चाहूंगी कि बहिष्कार की बात छोड़कर इन खेलों को फिर से शामिल करने का प्रयास किया जाए।”

राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार को लेकर खेल जगत बंटा हुआ दिखा है। देश के लिए एकमात्र व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा भी बहिष्कार के पक्षधर नहीं हैं लेकिन भारत की दिग्गज महिला निशानेबाज हिना सिद्धू ने हाल ही में कहा था कि भारत को इन खेलों का बहिष्कार करने के बारे में विचार करना चाहिए।

खुद आईओए इसे लेकर गम्भीर दिखाई दे रहा है। आईओए अध्यक्ष ने कुछ दिन पहले ही साफ कर दिया था कि बहिष्कार का रास्ता अभी भी खुला है और वह इस सम्बंध में खेल मंत्रालय की राय चाहता है। दूसरी ओर, खेल मंत्रालय ने कहा था कि राष्ट्रमंडल खेलों का बहिष्कार करना सिर्फ आईओए का फैसला नहीं हो सकता।

हालांकि भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरआई) के सचिव राजीव भाटिया ने कुछ समय पहले आईएएनएस कहा था कि निशानेबाजी को न शमिल करने के फैसले के बाद अब कुछ नहीं किया जा सकता क्योंकि आयोजन समिति ने इस मुद्दे पर अंतिम फैसला ले लिया है।

उल्लेखनीय है कि इस साल जून में राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने फैसला किया था कि 2022 में होने वाले खेलों में निशानेबाजी को जगह नहीं दी जाएगी। इसके विरोध में भारत ने सितम्बर में रवांडा में होने वाली राष्ट्रमंडल खेल महासंघ की आम सभा की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

By पंकज सिंह चौहान

पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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