राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को नई दिल्ली में ‘पुस्तकालय महोत्सव’ का उद्घाटन किया। यह महोत्सव पुस्तकालयों के विकास और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देगा। पढ़ने की संस्कृति को विकसित करने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
President Droupadi Murmu inaugurated ‘Festival of Libraries’ in New Delhi. The President said that libraries should become centers of social interaction, study and contemplation. https://t.co/N2EI61rVfX pic.twitter.com/7oV6D3N4Yj
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 5, 2023
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों का विकास समाज और संस्कृति के विकास से संबंधित है। यह सभ्यताओं की प्रगति का माप भी है। उन्होंने कहा कि इतिहास ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है जिसमें आक्रमणकारियों ने पुस्तकालयों को नष्ट करना आवश्यक समझा। इससे पता चलता है कि पुस्तकालयों को किसी देश या समाज की सामूहिक चेतना और बुद्धि का प्रतीक माना गया है।
उन्होंने बताया कि आधुनिक युग में ऐसी घटनाएं नहीं होती हैं लेकिन दुर्लभ पांडुलिपियों और पुस्तकों के गायब होने की घटनाएं होती हैं। उन्होंने कहा कि दुर्लभ पुस्तकों और पांडुलिपियों को वापस लाने का प्रयास किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालय सभ्यताओं के बीच सेतु का काम करते हैं। प्राचीन और मध्यकाल में कई देशों के लोग भारत से पुस्तकें ले जाते थे, उनका अनुवाद करते थे और ज्ञान प्राप्त करते थे। ऐसे प्रयासों के केंद्र में यह विचार है कि किताबें और पुस्तकालय मानवता की साझी विरासत हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक छोटी सी किताब विश्व इतिहास की दिशा बदलने की क्षमता रखती है। उन्होंने गांधीजी की आत्मकथा का जिक्र किया, जहां उन्होंने जॉन रस्किन की किताब ‘अनटू दिस लास्ट’ के उनके जीवन पर बड़े सकारात्मक प्रभाव का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि किताबों में धरती की सुगंध और आकाश की विशालता समाहित होती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि पांडुलिपियों के संरक्षण और पुस्तकालयों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण के प्रयास बहुत महत्वपूर्ण हैं। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रयोग से पुस्तकालयों का स्वरूप बदल रहा है। पहुंच आसान हो गई है।
उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन, वन डिजिटल लाइब्रेरी’ के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत की राष्ट्रीय वर्चुअल लाइब्रेरी विकसित की जा रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि राष्ट्रीय पुस्तकालय मिशन की सफलता से पुस्तकालयों से जुड़ने और किताबें पढ़ने की संस्कृति मजबूत होगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुस्तकालयों को सामाजिक संपर्क, अध्ययन और चिंतन का केंद्र बनना चाहिए। उन्होंने पुस्तकालयों के विकास के राष्ट्रीय अभियान को आगे बढ़ाने के लिए संस्कृति मंत्रालय की सराहना की।