राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने सोमवार को नई दिल्ली में स्थित गांधी दर्शन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 12 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया और परिसर में ‘गांधी वाटिका’ का उद्घाटन किया।
आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ध्यान मुद्रा में बैठी प्रतिमा के अनावरण और अलग-अलग मुद्राओं में उनकी मूर्तियों से युक्त गांधी वाटिका के उद्घाटन समारोह में शामिल होकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इस अवसर पर मैं, शांतिदूत और पूरी मानवता के हित में आजीवन समर्पित रहने वाले,… pic.twitter.com/XJdaynjVdf
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 4, 2023
इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी संपूर्ण विश्व समुदाय के लिए वरदान स्वरूप हैं। उनके आदर्शों और जीवन मूल्यों ने पूरी दुनिया को एक नई दिशा दी है। उन्होंने अहिंसा का मार्ग उस समय दिखाया जब विश्व-युद्धों के कालखंड के दौरान दुनिया घृणा और द्वेष से ग्रसित थी। उन्होंने कहा कि सत्य और अहिंसा के साथ गांधीजी के प्रयोग ने उन्हें एक महामानव का दर्जा दिया।
राष्ट्रपति ने बताया कि उनकी प्रतिमाएं कई देशों में स्थापित हैं और दुनिया भर के लोग उनके आदर्शों में विश्वास करते हैं। उन्होंने नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और बराक ओबामा का उदाहरण देते हुए कहा कि कई महान नेताओं ने गांधीजी द्वारा दिखाए गए सत्य और अहिंसा के मार्ग को विश्व कल्याण का मार्ग माना। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनके दिखाए मार्ग पर चलकर विश्व शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी ने सार्वजनिक और व्यक्तिगत जीवन में पवित्रता पर बहुत बल दिया। उनका मानना था कि नैतिक शक्ति के आधार पर ही अहिंसा के माध्यम से हिंसा का सामना किया जा सकता है।
उन्होंने रेखांकित किया कि आत्मविश्वास के बिना, प्रतिकूल परिस्थितियों में दृढ़ता के साथ कार्य नहीं किया जा सकता है। आज की तेजी से बदलती और प्रतिस्पर्धी दुनिया में, आत्मविश्वास और संयम की बहुत आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी के आदर्श और मूल्य हमारे देश और समाज के लिए बहुत प्रासंगिक हैं। उन्होंने सभी नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं और बच्चों से आग्रह किया कि गांधीजी के बारे में अधिक से अधिक पढ़ें और उनके आदर्शों को आत्मसात करें।
उन्होंने कहा कि इस संबंध में गांधी स्मृति, दर्शन समिति तथा ऐसी अन्य संस्थाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। उन्होंने कहा कि वे पुस्तकों, फिल्मों, संगोष्ठियों, कार्टूनों और अन्य संचार माध्यमों के जरिए युवाओं और बच्चों को गांधीजी के जीवन की शिक्षाओं के बारे में अधिक जागरूक कर सकते हैं और गांधीजी के सपनों के भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।