राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को निर्भया दुष्कर्म और हत्या मामले के एक दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी। इसके पहले गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात को ही राष्ट्रपति के पास दया याचिका की फाइल भेजी थी और उसे खारिज करने की सिफारिश की थी।
अदालत ने निर्भया मामले में चार दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है।
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय से समीक्षा के लिए भेजे जाने और इसे प्राप्त करने के कुछ घंटे बाद ही गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात ही इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया था।
इससे पहले दिल्ली सरकार ने निर्भया कांड के दोषी मुकेश की दया याचिका को खारिज करते हुए इसे उपराज्यपाल अनिल बैजल के कार्यालय को भेजा था। इसके बाद इसे गृह मंत्रालय को भेजा गया।
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को तिहाड़ जेल प्रशासन के अधिकारियों को मुकेश की दया याचिका के लंबित रहने के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने जेल अधिकारियों से मुकेश की दया याचिका और निष्पादन (फांसी) की तारीख को स्थगित करने के संबंध में की गई कार्रवाई पर दिल्ली जेल नियम की धारा 840 के तहत एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था।
हालांकि, न्यायाधीश ने फांसी दिए जाने की तारीख को बदलने से इनकार कर दिया। इससे पहले, चारों दोषियों के खिलाफ जारी डेथ वारंट पर हस्तक्षेप करने से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया था। दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी है।
उल्लेखनीय है कि 16 दिसंबर, 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। छह आरोपियों ने 23 वर्षीय महिला के साथ चलती बस में मिलकर दुष्कर्म किया था और उसकी बुरी तरफ पिटाई की थी। बाद में छात्रा की मौत हो गई थी।
सभी छह आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। आरोपियों में से एक नाबालिग था, इसलिए उसे किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया। वहीं अन्य आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी।