केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा है कि राम मंदिर का मुद्दा हिन्दुओ और मुस्लिमो को आपस में बातचीत कर के हल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मामला कोर्ट में है। कोर्ट के निर्णय से पहले क़ानून या अध्यादेश नहीं लाया जाना चाहिए।
सामाजिक न्याय मंत्री अठावले ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि ‘हम सब हिन्दुओं की भावनाओं से भली भांति परिचित हैं कि वो अयोध्या में मंदिर देखना चाहते हैं लेकिन कोई भी निर्णय मुस्लिम समुदाय से बातचीत करने के बाद ही लिया जाना चाहिए।’
उन्होंने ये भी कहा कि ‘जब तक सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई फैसला नहीं देता तब तक हमें इंतज़ार करना चाहिए और तब तक किसी को भी क़ानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए।’
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि पर सुनवाई जनवरी 2019 तक टलने के बाद संघ और विश्व हिन्दू परिसद की तरफ से लगातार मंदिर निर्माण के लिए क़ानून बनाने की मांग उठ रही है।
अठावले ने कहा कि “हमारी सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ के सिद्धांत में विश्वास करती है। इसलिए किसी क़ानून या अध्यादेश की कोई आवश्यकता नहीं है।”
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया के नेता अठावले ने कहा इस बार पर दुःख जताया कि सरकार पर क़ानून लाने के लिए दवाब बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘किसी को भी सरकार पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डालना चाहिए और कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना चाहिए।
अठावले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ़ इण्डिया केंद्र में एनडीए की सहयोगी है।
2019 में विपक्ष की तरफ से महागठबंधन पर सवाल उठाते हुए अठावले ने कहा कि महागठबंधन को कोई सफलता नहीं मिलेगी। कथित महागठबंधन की कई पार्टियों में कई मतभेद हैं और उनमे प्रधानमंत्री पद के लिए कई नेता दावेदारी ठोक रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे जितनी पार्टियों के साथ गठबंधन कर ले लेकिन वो भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को दुबारा सत्ता में आने से नहीं रोक सकते। अठावले ने दावा किया कि अगले चुनावों में भाजपा 300 सीट जीतेगी जबकि एनडीए 400 सीट जीतेगी।