सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि केस की सुनवाई जनवरी 2019 तक टल जाने पर योगी आदित्यनाथ ने संतो से संयम बनाये रखने की अपील की और कहा कि ‘न्याय अगर वक़्त पर मिले तो ही अच्छा होता है। देर से मिला न्याय भी अन्याय के सामान होता है।’
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि से जुड़ा हुआ मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। समय पर मिला न्याय, उत्तम न्याय माना जाता है। न्याय में देरी कभी-कभी अन्याय के सामान हो जाता है। pic.twitter.com/gcyYuE3Spp
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 30, 2018
भाजपा और संघ परिवार के नेताओं के सुर में सुर मिलाते हुए योगी ने कहा कि हर शांतिप्रिय देशवासी अपनी अंतिम सांस तक भी इस मुद्दे का समाधान होते देखना चाहता है। ऐसे लोगों की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए।’
योगी ने संतों से धैर्य बनाये रखने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘संतो को पूरे धैर्य के साथ श्रीराम जन्मभूमि के समाधान की दिशा में होने वाले उन सभी सार्थक प्रयासों में सहभागी बनना चाहिए, जिससे देश में शांति और सौहार्द की स्थापना हो’
संतों को पूरे धैर्य के साथ श्रीराम जन्मभूमि के समाधान की दिशा में होने वाले उन सभी सार्थक प्रयासों में सहभागी बनना चाहिए, जिससे देश में शांति और सौहार्द की स्थापना हो तथा भारत के सभी संवैधानिक संस्थाओं के प्रति सम्मान का भाव सुदृढ हो। pic.twitter.com/Qrr9P6xvCG
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) October 30, 2018
योगी अपने सरकारी निवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। योगी ने कहा कि वो चाहते हैं 2019 चुनाव से पहले इस केस पर फैसला आ जाए। रामभक्तों ने बहुत इंतज़ार किया है।
अयोध्या के संतों का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराने वाला है।
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विश्व हिन्दू परिषद् के प्रवक्ता शारदा शर्मा ने कहा ‘हाँ संतों में गुस्सा है और उनके सब्र का बाँध टूटता जा रहा है। हम जल्द ही भाजपा नेताओं से मिलकर उन्हें अपनी चिंताओं से अवगत कराएंगे।’
योगी आदित्यनाथ जो मुख्यमंत्री होने के साथ साथ गोरखनाथ मंदिर के महंत भी हैं, ने मंदिर निर्माण हेतु अध्यादेश लाने के लिए भाजपा पर दवाब डालने वाले संतो से धैर्य बनाये रखने की अपील की।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि केस की सुनवाई टलने के बाद केंद्र सरकार पर संघ, साधु संतों और अन्य हिंदूवादी संगठनों की तरफ से मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने का दवाब बढ़ता ही जा रहा है।