राजनीति हर चीज़ और हर मुद्दे को अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करना जानती है। बात जब सत्ता में किसी भी तरह से बने रहने की हो तो क्या इंसान और क्या भगवान। अपनी सहूलियत के हिसाब से पार्टियां हर चीज़ को इस्तेमाल कर लेती है।
वैसे तो उत्तरप्रदेश की राजनीति में धर्म हमेशा ही हावी रहती है और भगवान राम के नाम पर वोट मांगना भी यूपी के लिए मानों एक आम बात हो गयी है। बहुत पुराने वक्त से ही तमाम सरकारे भगवान राम की राजनीति कर के अपने वोट बैंक चमकाती आयी है। योगी सरकार के तो हर फैसले को कहीं न कहीं धर्म से और विशेषकर भगवान राम से जोड़ा जाता रहा है।
वहीं योगी सरकार भी भगवान राम के जरिये अपनी सत्ता जमाने में पीछे नहीं है। यहीं कारण है कि अयोध्या में सरयू नदी के तट पर 100 फीट ऊंची भगवान राम की प्रतिमा लगवाने का एलान करके योगी ने पुरे विपक्ष बिरादरी को सकते में डाल दिया था। समाजवादी पार्टी को तो इस समस्या का कोई समाधान ही नहीं सूझ रहा था कि वो इस फैसले का विरोध करे या न करे।
अब बहुत कोशिशों के बाद समाजवादी पार्टी ने इस मुद्दे का समाधान ढूंढ लिया है। जी हां समाजवादी पार्टी ने फैसला किया है कि भगवान के खिलाफ भगवान को ही उतारना चाहिए। इसलिए योगी सरकार के राम से जीतने की लिए समाजवादी पार्टी ने भगवान कृष्ण को खड़ा कर दिया है। समाजवादी पार्टी बीजेपी से मुकाबले के लिए सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि रखना चाहती है।
भगवान राम की मूर्ति के जवाब में अखिलेश सरकार ने भगवान कृष्ण की मूर्ति मंगा लिया है। यह मूर्ति 50 फीट ऊंची होगी। हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान कृष्ण यादव वंश से थे। गौरतलब है की उत्तर प्रदेश में इस समय यादव एक बहुसंख्यक समाज है। ऐसे में आस्था और धर्म के नाम पर यूपी में राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही है।