Thu. Dec 26th, 2024
    ram vilas paswan

    नई दिल्ली, 6 जून (आईएएनएस)| हाल ही में 17वीं लोकसभा के लिए हुए आम मतदान में 36 राजनीतिक दलों में से 15 पार्टियों को नोटा से भी कम वोट मिले। इनमें से कई दलों ने केवल कुछ सीटों पर ही चुनाव लड़ा।

    उपरोक्त में से कोई नहीं (नोटा) विकल्प 2014 के लोकसभा चुनावों में प्रस्तुत किया गया था, जो एक निर्वाचन क्षेत्र में सभी उम्मीदवारों की अस्वीकृति को दर्शाता है।

    इस आम चुनाव में कुल वोटों का 1.06 प्रतिशत मतदान नोटा को प्राप्त हुआ। वहीं 2014 के चुनावों में, कुल मतदाताओं में से लगभग 1.08 प्रतिशत ने नोटा के विकल्प को चुना गया था।

    केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बिहार में छह लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन उन्हें कुल वोटों में से केवल 0.52 प्रतिशत वोट मिले।

    तीन सीटों वाली पार्टियां – मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को (0.01 प्रतिशत वोट), जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (0.05 प्रतिशत वोट) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (0.26 प्रतिशत वोट)- को नोटा की तुलना में कम वोट मिले।

    शिरोमणि अकाली दल (शिअद), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (कपा) और अपना दल ने दो-दो लोकसभा सीटें जीतीं। लेकिन उन्हें अलग से डाले गए कुल वोटों का एक फीसदी से भी कम हिस्सा मिला।

    लोकसभा में एक सीट के साथ सात राजनीतिक दलों ने वोट के आधे से भी कम हिस्से को हासिल किया हैं।

    ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (0.11 फीसदी वोट) और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (0.12 फीसदी वोट) को 0.10 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, जबकि पांच पार्टियों को इससे कम वोट मिले।

    केरल कांग्रेस (मणि) को कुल मतों का 0.07 प्रतिशत, मिजो नेशनल फ्रंट को 0.04 प्रतिशत और नागा पीपुल्स फ्रंट को 0.06 प्रतिशत वोट मिले।

    सिंगल-सीट बैगर्स नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी को 0.08 प्रतिशत और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को कुल मतों का 0.03 प्रतिशत प्राप्त हुआ।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *