Tue. Dec 24th, 2024
    सपा राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव

    एक नेता पुरे समाज का प्रतिनिधित्व करता है। शायद यहीं कारण है कि राजनीति में राजनेताओं का आचरण महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए लग रहा है कि यहां राजनेताओं को शिष्टाचार का ज्ञान ले लेना चाहिए, क्यूंकि भारत में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल राजनेता कर रहे है, वो निंदनीय है।

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    अब ताजा मामला आया है, सपा राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव का। विपक्षी दल होने के नाते वह योगी पर इल्जाम लगा रहे थे। खैर ये तो उनका अधिकार और कर्तव्य दोनों था, लेकिन रामगोपाल ने जिस भाषा का इस्तेमाल योगी के लिए किया वो उन्हीं के लिए अब महंगा पड गया है।

    दरअसल उन्होने अपने एक बयान में योगी कि तुलना सड़क छाप गुंडे से कर दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल योगी करते है, वो किसी सड़क छाप गुंडे से कम नहीं है। उन्होने यह भी कहा कि योगी सरकार के शासन में गरीब तड़प तड़प के मर रहा है और मुस्लिम समुदाय भय से ग्रसित है।

    जीएसटी पर हमला करते हुए उन्होने कहा कि सरकार के इस निर्णय से यहां के कारखाने और यहां कि अर्थव्यवस्था दोनों बर्बाद हो गयी है। बीजेपी सरकार के राज में यहां पुलिस और प्रशासन दोनों भ्रष्ट हो चुकी है।

    खैर इल्जाम लगाना कोई बड़ी बात नहीं है, और चुनावों के मौसम में इल्जाम लगना और लगाना दोनों ही बाते स्वाभाविक है, पर इंसान को इस बात का ख्याल जरूर रखना चाहिए कि भाषा की एक मर्यादा होती है जो कभी भंग नहीं होनी चाहिए।