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    rafael deal

    राफेल डील में घोटाले के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज करने के बाद अब तक रक्षात्मक रही भाजपा ने अब हमलावर रुख अख्तियार कर राहुल गाँधी और कांग्रेस को घेरते हुए जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया और देश और सेना से माफ़ी मांगने की मांग की है।

    भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर कहा कि राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी ने चुनावी लाभ लेने के लिए झूठे आरोप लागाये और देश की जनता को गुमराह किया। राहुल गाँधी को इसके लिए देश और सेना से माफ़ी मांगनी चाहिए।

    उन्होंने राहुल गाँधी से पूछा कि “आपके वो सोर्स कौन है? आपको सूचनाएं कहाँ से मिलती है? देश को इस बारे में बताएं।” उन्होंने कहा जिस पार्टी का भ्रष्टाचार का पुराना इतिहास रहा है उसने राजनितिक लाभ लेने के लिए दूसरों पर कीचड उछाले। उन्होंने कहा कि “सूरज पर कीचड उछालने पर कीचड खुद के ऊपर ही गिरता है।”

    उन्होंने राहुल गाँधी और कांग्रेस पार्टी को बोफोर्स और अगस्ता डील के जरिये घेरते हुए कहा कि “जब आप डील करते थे तो क्वात्रोची और मिशेल जैसे बिचौलिए फायदा उठाते थे लेकिन हमने डाइरेक्ट सौदा किया और बिचौलियों का अस्तित्व ख़त्म कर दिया तो आपको दिक्कत होने लगी और आपने झूठे आरोप लगाने शुरू कर दिए।”

    विधानसभा चुनाव में हार के बाद मुरझाई भाजपा को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने नई उर्जा दे दी है और इसकी बानगी संसद में भी देखने को मिली। संसद में इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा हुआ। कोर्ट के फैसले के बाद सरकार की तरफ से कांग्रेस पर जवाबी हमले करने की जिम्मेदारी गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उठाई।

    राजनाथ सिंह ने कांग्रेस और राहुल गाँधी पर हमले करते हुए कहा कि “राहुल गाँधी के बचपने की वजह से दुनिया में भारत की साख गिरी। दो देशों के बीच के द्विपक्षीय रिश्ते टूटने की कगार पर पहुंच गए।” इसपर राहुल गाँधी को संसद में देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।”

    कांग्रेस शीतकालीन सत्र में राफेल डील की जाँच के लिए जेपीसी की मांग के साथ सरकार को घेरने की रणनीति बनाई थी लेकिन अब बड़ा मुद्दा सरकार के हाथ से निकल कर सरकार के पास आ गया है और सत्ताधारी पार्टी इसे यूँ ही जाने नहीं देगी, ये उसके तेवरों से जाहिर हो रहा है।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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