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    राफेल लड़ाकू विमान

    नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राफेल डील से सम्बंधित जानकारी सीलबंद लिफ़ाफ़े में कोर्ट में जमा कर राहुल गाँधी की उस रणनीति की हवा निकाल दी जिसके तहत कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान राफेल मुद्दे को जोर शोर से उठा रही थी।

    सरकार ने पहले गोपनीयता का हवाला दे कर डिटेल को कोर्ट में जमा करने से इंकार कर दिया था लेकिन फिर 13 दिन बाद सरकार ने अपना विचार बदलते हुए कोर्ट में जानकारी जमा कर दी। कोर्ट में सारी डिटेल जमा कर सरकार ने ये संकेत दे दिया है कि इस पूरी डील में ऐसी कोई बात नहीं है जो गलत हो या छुपाई जा रही हो।

    डिटेल जमा होने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट कल इस मामले में याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई करेगा।

    अब तक राहुल गाँधी सरकार पर ये आरोप लगा रहे थे कि इस पूरी डील में घोटाला हुआ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें सीधे सीधे शामिल हैं लेकिन सरकार ने भी जानकारी कोर्ट में जमा कर राहुल गाँधी से इस मुद्दे को छीन लिया है। राहुल गाँधी विधानसभा चुनावों के दौरान इस पर नरेंद्र मोदी को लगातार ‘चौकीदार चोर है’ कह कर कटघड़े में खड़ा कर रहे थे। लेकिन अब राहुल के लिए ये कहना आसान नहीं होगा। सरकार ने जानकारी कोर्ट को दे कर राफेल को चुनावी मुद्दा बनने से रोक दिया। राहुल के आरोपों के जवाब में सरकार ये भी कह सकती है कि ‘हमारे दिल में कोई चोर नहीं था इसलिए हमने कोर्ट को जानकारी दे दी।’

    कल दसॉल्ट एविएशन के सीईओ एरिक ट्रिपर ने भी राहुल गाँधी के आरोपों को गलत बताते हुए कहा था कि ‘मैं झूठ नहीं बोल रहा। ऑफसेट पार्टनर के रूप में रिलायंस को हमने चुना।’ एरिक ने राहुल के आरोपों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा था कि ‘हम भारत सरकार और भारतीय वायुसेना के साथ डील करते हैं किसी राजनितिक पार्टी के साथ नहीं।’

    सुप्रीम कोर्ट नें उठाये सवाल

    सुप्रीम कोर्ट नें राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार से कई सवाल किये।

    सुप्रीम कोर्ट नें इस दौरान सरकार से पूछा कि उन्होनें साल 2015 में राफेल खरीदने की शर्तों में बदलाव क्यों किये? कोर्ट नें पूछा कि देश के हित को ध्यान में ना रखते हुए सरकार ऐसा फैसला कैसे ले सकती है?

    इसपर रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी नें बताया कि सरकार नें नियमों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है और अब के नियम पहले के नियमों के समान ही हैं।

    By आदर्श कुमार

    आदर्श कुमार ने इंजीनियरिंग की पढाई की है। राजनीति में रूचि होने के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ कर पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने का फैसला किया। उन्होंने कई वेबसाइट पर स्वतंत्र लेखक के रूप में काम किया है। द इन्डियन वायर पर वो राजनीति से जुड़े मुद्दों पर लिखते हैं।

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