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    मोदी सरकार बिल

    लोक सभा चुनाव सर पर है। इस समय में सत्ताधारी पार्टियां अपने सभी लंबित काम जिसका उसने चुनाव में वादा करा था उसे पूरा करने में लग जाती है और फिर आनन-फानन में किए गए कामों के सहारे ही अपना चुनावी मंच सजाती है। कुछ इसी काम में अब नरेंद्र मोदी सरकार लगी है।

    संसद एवं राज्य सभा में ऐसे कई बिल अटके हुए है जिसका वादा उसने 2014 के लोक सभा चुनावो में जनता से किया था। उन्ही में से एक बिल अभी हाल ही में राज्य सभा द्वारा पारित किया गया। अचल संपत्ति (संशोधन) विधेयक, 2017 की मांग और अधिग्रहण, जिसे केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्थानांतरित किया था, को वॉयस वोट द्वारा अपनाया गया था।

    इस विधयक पर मंत्री ने कहा कि यह बिल पहले ही 11 बार संशोधित किया गया है और यह अब बारहवीं बार संशोधित कर पेश किया जा रहा है। लोक सभा द्वारा यह बिल पहले ही दिसंबर 2017 में पास कर दिया था पर बाद में विपक्ष द्वारा हंगामे के बाद इसे बार बार संशोधन के लिए भेजा।

    इसके बाद कांग्रेस कि तरफ से बहस में भाग लेते हुए उनके नेता जयराम नरेश कहते है कि “उम्मीद है यह विधयक किसी भी तरह से भूमि अधिग्रहण अधिनियम (2013) को प्रभावित नहीं करेगा। जिसके तहत शहरी क्षेत्र में सार्वजनिक प्रयोजन के लिए अधिकृत करी गई ज़मीन एवं ग्रामीण क्षेत्र में अधिकृत ज़मीन का दोगुना मुआवज़ा सुनिश्चित करता है। कांग्रेस नेता ने कहा, “मुझे आशा है कि यह बिल किसी भी तरीके से मुआवज़े के मालिक को परेशान नहीं करेगा जो इस बिल के तहत हक़दार है”।

    सभी के सवालों का जवाब देते हुए शहरी विकास मंत्री हर्षदीप सिंह पूरी कहते है कि “इस बिल का मकसद किसी भी तरीके से 2013 में आए बिल को प्रभावित करना नहीं है एवं मोदी सरकार अधिग्रहित भूमि के लिए उचित मुआवजे मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध थी, जिसे  विधेयक के माध्यम से दोहराया गया था।

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