राजस्थान के कर्मचारियों में भी सातवें वेतनमान के अनुसार सैलरी देने की मांग उठने लगी है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने राज्य में बढ़ी हुई सैलरी, पीपीपी मोड को समाप्त करने तथा अन्य समस्याओं के निराकरण के संबंध में अपनी मांग सामने रखी है। दरअसल राजस्थान शिक्षक संघ (अम्बेडकर) ने उपरोक्त मांगों के संबंध में मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
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राजस्थान शिक्षक संघ (अम्बेडकर) के मुताबिक पीपीडी मोड के नाम सरकारी स्कूलों का निजीकरण करना एक प्रकार से कमजोर वर्ग के बच्चों तथा उनके अभिभावकों का शोषण करना होगा। इस राज्य शिक्षक संघ का मानना है कि सभी संवर्ग के शिक्षकों को केंद्र के समान वेतनमान नहीं देना तथा 21 माह का एरियर डकार जाना एक प्रकार से राज्य शिक्षकों के साथ किया जाने वाला छलावा है।
वहीं दूसरी ओर राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की स्थायी समिति ने भी केंद्र से 1 जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान लागू नहीं करने तथा 21 माह का एरियर नहीं देने पर जोरदार विरोध किया है। राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के मुताबिक सरकार राज्य शिक्षक कर्मचारियों के साथ धोखा कर रही है।
शिक्षक संघ का कहना है कि वेतन विसंगति निवारण कर सरकार ने राज्य कर्मचारियों की मांगों पर नमक छिड़कने का काम किया है। राज्य शिक्षक संघों का कहना है कि राज्य के शिक्षक सरकार के इस कदम का पुरजोर विरोध करेंगे। राजस्थान शिक्षक संघ ने अपने प्रत्येक उपशाखा में 10 नवंबर के दिन विरोध—प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।
उपरोक्त वेतन विसंगतियों संबंधी मांगों लेकर शिक्षकगण मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के नाम अपने उपखण्डाधिकारियों को ज्ञापन सौंपेंगे। गौरतलब है कि राजस्थान प्राध्यापक शिक्षा सेवा संघ यानि रेसला ने भी सातवें वेतमान आयोग के सिफारिशों की होली जलाई है।
रेसला का कहना है कि 7वें वेतनमान आयोग की सिफारिशों में कई खामियां हैं। प्राध्यापक संघ का कहना है कि इस सिफारिश में प्राध्यापकों की अनदेखी की गई है। प्राध्यापक संघ ने राजस्थान के मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग की है।