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    मोदी सरकार के मंत्री एक बार फिर सोमवार को राज्यसभा में अनुपस्थित रहे, जिसके कारण उन्हें सभापति एम. वेंकैया नायडू की नाराजगी का सामना करना पड़ा।

    नायडू ने अभी कुछ दिन पहले ही सदन में अनुपस्थिति को लेकर सदस्यों को नसीहत दी थी, लेकिन एक बार फिर मंत्री अनुपस्थित रहे। वेंकैया ने कहा कि विषय के नोटिस देकर मंत्रियों का सदन से अनुपस्थित रहना अस्वीकार्य है।

    नायडू ने मंत्रियों को चेताते हुए कहा, “मंत्री अपने नाम के दस्तावेज सदन पटल पर रखने के लिए नोटिस दे रहे हैं और इसके बावजूद उपस्थित नहीं है, जो कि अस्वीकार्य है।”

    उन्होंने कहा कि मंत्री सभापति से मिलकर बताएं कि वे नोटिस देने के बावजूद सदन में उपस्थित क्यों नहीं रहे। सभापति ने कहा कि मंत्रियों को पूरा अधिकार है कि जिस विषय के लिए उन्होंने नोटिस दिया है, उसे वे स्थगित कर सकते हैं, लेकिन प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर अनुपस्थित रहना अच्छा नहीं है।

    उल्लेखनीय है कि सोमवार की कार्यसूची में विभिन्न मंत्रियों के नाम कुल 12 विषय सूचीबद्ध थे, लेकिन उनमें से कुछ मंत्री अनुपस्थित रहे। इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि क्या सदस्यों ने अनुपस्थित रहने के लिए सभापति से अनुमति मांगी थी?

    सोमवार को सदन की बैठक जैसे ही शुरू हुई, और मंत्रियों से उनके नाम पर दर्ज विषयों को रखने के लिए कहा गया, श्रीपद येसो नाईक ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नाम से सूचीबद्ध विषय के दस्तावेज सदन पटल पर रखे।

    पर्यावरण राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने वरिष्ठ मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के नाम सूचीबद्ध विषय के दस्तावेज सदन पटल पर रखे।

    पिछले सप्ताह राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने संसदीय स्थायी समितियों की बैठकों से सदस्यों की अनुपस्थिति को लेकर नाराजगी जताई थी। पूर्व में पाया गया था कि आठ संसदीय समितियों के सितंबर में हुए पुनर्गठन के बाद से उनकी कुल हुई 41 बैठकों में सिर्फ 18 सदस्यों ने हिस्सा लिया था।

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