Fri. Nov 8th, 2024

    पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को लगातार बड़े नेताओं से हाथ धोना पड़ रहा है। पार्टी से विधायकों के निकलने का दौर लगातार जारी है। इसी बीच कुछ दिन पहले पार्टी के एक बड़े और दिग्गज नेता राजीव बनर्जी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। वे तृणमूल सरकार में वन मंत्री थे और उन्होंने पहले अपने पद से और फिर पार्टी की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया था। वे ममता बनर्जी काफी करीबी और पश्चिम बंगाल में एक अलग छवि रखने वाले नेता माने जाते थे। लेकिन उन्होंने जब तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दिया तो उसके बाद अब आगामी विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी की जीत डांवाडोल होती दिख रही है।

    इसी बीच खबर है कि राजीव बनर्जी को जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। उन्हें पश्चिम बंगाल में रहते हुए जेड श्रेणी और देश भर में यात्रा के दौरान वाइ प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी। पिछले कुछ समय से राजीव बनर्जी ममता के खेमे के कुछ नेताओं की कड़ी आलोचना करते नजर आ रहे थे। पश्चिम बंगाल में नेताओं पर हमले की घटनाएं काफी आम हैं। पिछले साल बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर भी बड़ा हमला हुआ था और उसके बाद कैलाश विजयवर्गीय के काफिले पर भी हमले की खबर सामने आई। इसके बाद कैलाश विजयवर्गीय व अन्य नेताओं की सुरक्षा भी काफी कड़ी कर दी गई थी। इसी के मद्देनजर राजीव बनर्जी को भी यह सुरक्षा दी जा रही है।

    उन्होंने तृणमूल कांग्रेस छोड़ी है और साथ ही बहुत से नेताओं के खिलाफ भी बयान दिए हैं। इसके बाद ऐसा संभव है कि उनके उनकी सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है। ममता बनर्जी की पार्टी से लगातार कद्दावर नेता कटते जा रहे हैं। ऐसे में राजीब बनर्जी का भी पार्टी का साथ छोड़ देना तृणमूल के लिए निश्चय ही अच्छा संकेत बिल्कुल नहीं है। ममता बनर्जी अपनी हार को पास देख कर खीझ रही हैं। उन्होंने जय श्रीराम के नारे पर भी विशेष सत्र में निंदा प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी, हालांकि विपक्ष की और वामपंथी पार्टियों ने उन्हें इसपर समर्थन देने से इनकार कर दिया था।

    ममता बनर्जी को इस विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लक्ष्य में बाधाएं नजर आती दिख रही है। बीजेपी के लगातार एक से बढ़कर एक दांवपेच ममता बनर्जी के हाथ से बंगाल को छीन सकते हैं। वहीं ममता बनर्जी की प्रतिस्पर्धा सिर्फ बीजेपी से नहीं है। कांग्रेस भी बहुत ही सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने की घोषणा कर चुकी है। बीजेपी से लगातार ममता बनर्जी को टकराना पड़ रहा है। वहीं शिवसेना व असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी पश्चिम बंगाल में खाता खोलने की फिराक में नजर आ रही हैं। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए अपना गढ़ बचाना बेहद मुश्किल है। वे खुद भी 2 विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने वाली हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र के अलावा ममता बनर्जी तृणमूल से बगावत कर के बीजेपी में शामिल हुए नेता शुभेंदु अधिकारी के गढ़ में भी उनको टक्कर देंगी। पश्चिम बंगाल के चुनावों का नतीजा देखना वाकई बेहद दिलचस्प होने वाला है।

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