मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने से पहले ही राजस्थान में कांग्रेस सरकार संकट में आ गई है। 200 सदस्य वाले राजस्थान विधान सभा से बीती रात अशोक गहलोत गुट के 90 से अधिक कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा।
ये विधायक राज्य के नए मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट के नाम का विरोध कर रहे हैं। मीडिया से जानकारी साझा करते हुए कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने दावा किया कि 92 विधायक उनके साथ हैं साथ ही उन्होंने कहा कि विधायकों में नाराजगी है।
सचिन पायलट का नाम लिए बिना खाचरियावास ने कहा कि विधायक पहले बगावत करने वाले किसी भी नेता को सत्ता सौंपने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि जब राज्य में राजनीतिक संकट आया तो 102 विधायकों को कई दिनों तक होटलों में रहना पड़ा। आलाकमान इनमें से किसी भी विधायक को मुख्यमंत्री के रूप में चुन सकता है।
मीडिया सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कल शाम मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक होनी थी। इस बैठक में पर्यवेक्षक के तौर पर प्रदेश प्रभारी अजय माकन और वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे आए थे। यह माना जा रहा था कि इस बैठक में आलाकमान को नया मुख्यमंत्री चुनने का अधिकार देने का प्रस्ताव पारित किया जाना था। लेकिन बैठक शुरू होने से पहले ही विधायक और मंत्री शहरी विकास मंत्री शांति कुमार धारीवाल के आवास पर जुटने लगे।
देर शाम तक यह संख्या 80 के पार पहुंच गई। सभी विधायक मिलकर स्पीकर सी.पी. जोशी के आवास पर जाकर अपना इस्तीफा सौंपा। देर रात ये विधायक अपने घरों को लौट गए। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री आवास पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक दो बार स्थगित होने के बाद आखिरकार रद्द कर दी गई।
अजय माकन ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि गहलोत समर्थकों ने तीन शर्तें रखी है: पहला, अध्यक्ष को फ़ैसला करने का अधिकार देने का रेजोल्युशन 19 अक्टूबर के बाद लागू होगा। दूसरा, बातचीत ग्रुप्स में होगी एवं तीसरा, पायलट या उनके ग्रुप में से कोई भी मुख्यमंत्री का नहीं बनाया जाना चाहिए।