7 दिसंबर को होने वाले राजस्थान चुनाव (rajasthan election) के लिए कांग्रेस (congress) ने साफ़ कर दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट (sachin pilot) दोनों ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। अशोक गहलोत अपने परंपरागत सीट जोधपुर के सरदारपुरा सीट से लड़ेंगे जबकि सचिन पायलट की सीट के बारे पार्टी जल्द ही घोषणा करेगी।
गहलोत और पायलट दोनों के चुनाव लड़ने से एक बार फिर ये चर्चा तेज हो गई है कि जीतने के बाद कांग्रेस की तरफ से राजस्थान में मुख्यमंत्री कौन बनेगा क्योंकि दोनों ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं।
राजस्थान कांग्रेस पूरी तरह से दो गुटों में बंटा हुआ है। एक गुट वरिष्ठ, अनुभवी और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ है तो दूसरा गुट 41 वर्षीय युवा सचिन पायलट के साथ।
हालाँकि सचिन पायलट इन चर्चाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं देते। न्यूज चैनल एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में पायलट ने कहा कि ये चर्चाएं व्यर्थ हैं क्योंकि हमारा पूरा ध्यान चुनाव जीतने पर है। कांग्रेस पार्टी लिए चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है, मुख्यमंत्री पद नहीं।
इंटरव्यू में वसुंधरा राजे के कार्यकाल पर बात करते हुए सचिन ने कहा कि पिछले 5 साल राजस्थान के लिए सबसे बुरे 5 साल थे। किसान परेशान थे और आत्महत्या कर रहे थे, युवा परेशान थे क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं था और महिलाएं परेशान थीं क्योंकि बढ़ती महंगाई से उनके रसोई का बजट बिगड़ गया था।
सचिन ने कहा कि वसुंधरा ने 611 वादे किये थे राजस्थान की जनता से, उनमे से कितने पुरे हुए?
चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस की प्राथमिकताओं के बारे में युवा नेता ने कहा कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता किसानों की मदद होगी। किसान परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं। हमें उन्हें परेशानी से निकालना होगा। दूसरी प्राथमिकता राज्य के युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध करना है।
मंदिर-मस्जिद का चुनाव पर प्रभाव के बारे में सचिन कहते हैं कि राजनीति और धर्मं दो अलग अलग चीजें हैं। लेकिन भाजपा के लिए ऐसा नहीं है। वो धार्मिक स्थलों पर जाते हैं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं लेकिन जब हम धार्मिक स्थलों पर जाते हैं तो उन्हें दिक्कत होने लगती है।
राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों के लिए 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे जबकि 11 दिसंबर को चुनाव परिणामों की घोषणा की जायेगी।