राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन भाजपा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। एक ओर जहाँ सभी ओपिनियन पोल राज्य में वसुंधरा राजे की हार और कांग्रेस की वापसी के दावे कर रहे हैं वहीँ दूसरी ओर भाजपा के बागी और पार्टी छोड़ के गए पुराने नेता भाजपा को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
एक वक़्त भाजपा के कद्दावर नेता रहे और 2008 में भाजपा के टिकट पर विधायक रहे हनुमान बेनीवाल ने नयी पार्टी का गठन कर लिया है। सोमवार को एक बेनीवाल ने अपनी नयी पार्टी ‘राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी’ का गठन किया और कहा कि कहा कि वो अन्य वैचारिक समानता वाली पार्टियों के साथ गठबंधन कर के राज्य को भाजपा और कांग्रेस का विकल्प देंगे।
बेनीवाल की नयी पार्टी बनते ही ‘भारत वाहिनी पार्टी’ के अध्यक्ष और पूर्व भाजपा नेता घनश्याम तिवारी ने एक रैली में बेनीवाल की ‘राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी’ को अपना समर्थन देने की घोषणा भी कर दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ तिवारी की इस रैली में ‘राष्ट्रीय लोक दल’ के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधि संजय लाठर भी मौजूद थे।
बेनीवाल और तिवारी ने वसुंधरा राजे की कार्यप्रणाली से नाराज होकर पार्टी से किनारा कर लिया था। बेनीवाल ने 2008 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था जबकि 2013 में निर्दलीय जीत हासिल की थी। उन्होंने अभी हाल के महीनो में बारमेड़, सीकर और बीकानेर में बड़ी रैलियां की है।
वसुंधरा राजे जहाँ एक ओर अपनी सत्ता बचाने की जी तोड़ कोशिश कर रही हैं, वही दूसरी ओर सारे ओपिनियन पोल्स राज्य में कांग्रेस की जोरदार वापसी की भविष्यवाणी कर रहे हैं। बेनीवाल और तिवारी जैसे नेताओं की छोटी पार्टियां चुनावों में जीत हासिल भले ही न कर सके लेकिन पहले से ही सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही वसुंधरा और भाजपा को नुक्सान पहुंचा कर उनका खेल तो बिगाड़ ही सकती है।