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    राजस्थान आरक्षण सुप्रीम कोर्ट

    राजस्थान भाजपा सरकार ने अन्य पिछड़ी जातियों जिनमे गुज्जर/गुर्जर, बंजारा/बालड़ीआ/लबाना, गड़िआ/लुहार/गडालिया, राइका/रेबारी और गडरिया शामिल थे, का आरक्षण 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 26 प्रतिशत कर दिया है।

    सरकार के इस फैसले के बाद राजस्थान राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में 54 फीसदी आरक्षण हो गया है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण के मामले में किसी भी राज्य के लिए 50 फीसदी की सीमा निर्धारित की हुई है।

    राजस्थान में पिछड़ी जाती संसोधन 2017 के तहत गुज्जर समेत चार अन्य जातियों को पांच फीसदी आरक्षण निर्धारित किया था।

    यह संसोधन राजस्थान विधानसभा में सोमवार को पारित हुआ था। इससे पहले पिछले साल, हालाँकि राजस्थान उच्च न्यायालय ने सरकार द्वारा आरक्षण बढाए जाने के फैसले पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। उस समय अदालत ने कहा था कि सरकार को राजनीति के लिए आरक्षण नहीं बढ़ाना चाहिए।

    इसके अलावा अदालत ने राज्य सरकार से 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण बढ़ाने का कारण पूछा था। उस समय हालाँकि सरकार ने इसपर कोई सफाई नहीं दी थी।

    इस साल के मई महीने में राजस्थान सरकार ने फिर से गुर्जर आरक्षण का बिल संसद में आगे बढ़ाया था। इस दौरान सरकार ने कहा था कि ओबीसी आरक्षण इसलिए बढ़ाया जा रहा है क्योंकि राज्य में ओबीसी वर्ग के लोगों की जनसंख्या बढ़ रही है।

    हालाँकि सरकार का यह फैसला आगामी लोक सभा और राजस्थान चुनावों के लिए राजनैतिक चाल का हिस्सा भी हो सकता है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।