श्रीलंका के राजनीतिक संकट का अभी कोई हल निकलता नज़र नहीं आ रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना ने रविवार को सभी सियासी दलों की बैठक के बाद विवादित प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के खिलाफ तीसरा अविश्वास प्रस्ताव लाने की मंजूरी दी थी।
राष्ट्रपति सिरिसेना ने पार्टी मीटिंग के बाद कहा कि महिंदा राजपक्षे की सरकार का नेतृत्व करने की इच्छा को दो बार अविश्वास प्रस्ताव द्वारा ठुकरा दिया गया है। राष्ट्रपति सिरिसेना के वफादार सांसद ने मीडिया से कहा कि राष्ट्रपति ने दूसरे अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के नतीजों को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति के इस निर्णय से पूर्व प्रधानमन्त्री के दोबारा बागडोर अपने हाथ में लेने के मंसूबे सफल होते दिख रहे हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि सिरिसेना ने तत्कालीन सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार को पारित हुए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने संसद में मिर्ची पाउडर और फर्नीचर फेंककर विरोध जताया और मतदान प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी।
संसद के अध्यक्ष कारू जयसूर्या ने रविवार को आयोजित सभी सियासी दलों की बैठक में शिरकत नहीं की थी। इस बैठक के दौरान सभी नेताओं ने सदन की गरिमा को बरकरार रखते हुए शांतिपूर्ण मतदान का निर्णय लिया था। राष्ट्रपति सिरिसेना ने बीते माह प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को उनके पद से बर्खास्त कर दिया था और संसद को भंग कर दिया था।
सोमवार को संसद में जारी मतदान प्रक्रिया के बाद राष्ट्रपति को रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलानी होगी। हालांकि राष्ट्रपति ने कहा था कि वह दोबारा विक्रमसिंघे के साथ कार्य नहीं सकते हैं। विक्रमसिंघे की पार्टी ने कहा कि वे फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हैं और सदम में बहुमत साबित करेंगे।
रानिल विक्रमसिंघे के समर्थक ने कहा कि विवादित प्रधानमन्त्री महिंदा राजपक्षे को भी सदन में बहुमत साबित करना चाहिए।