श्रीलंका में 51 दिनों बाद राजनीतिक संकट के बादल छंटते दिखाई दे रहे हैं। श्रीलंका के बर्खास्त प्रधानमन्त्री रानिल विक्रमसिंघे को वापस सत्ता सौंप दी जा चुकी है। श्रीलंका की संसद मंगलवार को बहाल होने के लिए तैयार है। संसद में पदों को लेकर राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना की रजामंदी अब भी बाकी है।
राष्ट्रपति सिरिसेना के विवादित फैसले के कारण श्रीलंका में राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया था। यह राजनीतिक उथलपुथल के दौर श्रीलंका में दो माह तक बरक़रार रहा था। 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति ने नाटकीय अंदाज़ में रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री पद से हटाकर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमन्त्री पद की कमान सौंप दी थी।
राष्ट्रपति ने यह निर्णय संसद के पांच साल के कार्यकाल पूर्ण होने से 20 माह पूर्व ही संसद को भंग कर दिया था, जबकि संविधान के तहत साढ़े साल पूर्ण होने से पहले सदन को राष्ट्रपति भंग नहीं कर सकता है।
कैबिनेट मंत्री पद की नहीं दिलाई शपथ
सदन के अध्यक्ष कारू जयसूर्या ने इस हफ्ते की योजनाओं के बाबत चर्चा के लिए मंगलवार को एक बैठक का आयोजन किया है। कैबिनेट की मंत्रियों ने अभी तक शपथ ग्रहण नहीं की है, केवल रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमन्त्री के पद के लिए चुना गया है।
राष्ट्रपति के दल को भी जगह देने की उम्मीद
यूनाइटेड नेशनल पार्टी के सांसद नलिन बंदर ने कहा कि “मुझे उम्मीद है कि उम्मीदवारों की सूची को जल्द ही तैयार कर लिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि हम चाहते है इस सूची में राष्ट्रपति के सियासी दल के सदस्य भी शामिल हो। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति नियम और कानून और मास मीडिया के मंत्रालय की मांग कर रहे हैं।
ख़बरों के अनुसार विपक्षी दल के नेता का संसद में पद तय करना अभी बाकी है। सिरिसेना के वफादार निशंथा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी का कोई भी सदस्य सरकार में शामिल नहीं होगा। राष्ट्रपति सिरिसेना की पार्टी में दो गुट बन गए हैं, एक जो पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को समर्थन कर रहे हैं जबकि दूसरा जो राष्ट्रपति सिरिसेना की तरफ है।
संसदीय अधिकारी ने कहा कि दोपहर में सदन की बैठक के बाद वरिष्ठता के आधार पर सीटों का बंटवारा किया जायेगा। राजपक्षे और सिरिसेना के वफादार पिछले माह से संसद का बहिष्कार कर रहे हैं, आज उनके सदन में मौजूद रहने की उम्मीद है।