भारत और फ्रांस ने द्विपक्षीय रक्षा को और गहरा करने और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को मज़बूत करने का निर्णय लिया है। राजनाथ सिंह ने बुधवार को फ्रांस की बख्तरबंद कंपनियों से हथियार प्रणाली के लिए भारत में इकाइओ की स्थापना करने का आग्रह किया है जो अन्य देशो में भी निर्यात किया जा सकेगा।
फ्रांस की हथियार उत्पादन कम्पनी ने भारत से उनके लिए ज्यादा आकर्षित कारोबारी माहौल तैयार करने का आग्रह किया है जिसमे शुल्क चरमपंथ और अन्य कारोबारी बाधाये न हो। सफरन एयरक्राफ्ट इंजन के प्रमुख ओलिवर एंड्रीज ने कहा कि “भारत उड्डयन के लिए तीसरा व्यावसायिक बाजार बनने के लिए तैयार है। हम अपने ग्राहकों को सुविधाएँ देने के लिए रिपेयर बसे बनाने के लिए इच्छुक है। लेकिन हमें सुनिश्चित होना होगा कि भारतीय शुल्क और कस्टम सिस्टम हमें भयभीत नहीं करेंगे।”
सफरन इंजन ने ही 36 रफाल लडाकू विमान का निर्माण किया है जो भारतीय सेना के सुपुर्द कर दिए गए हैं। सितम्बर 2016 में दोनों देशो के बीच 56000 करोड़ का समझौता हुआ था। कंपनी ने भारत ने 15 करोड़ डॉलर का निवेस करने भी योजना बनायीं थी।
फ्रेंच कंपनियों की तरफ से प्रतिक्रिया में सिंह ने कहा कि “इज ऑफ़ दोंग बिज़नेस में सुधार और निवेश के लिए अर्थव्यवस्था को खोलने के लिए सार्थक सुधार किये हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार मेक इन इंडिया के तहत व्यापक स्तर पर रक्षा क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग खोला है। हमने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारों की स्थापना की है और निवेश के लिए आकर्षक शर्तो को रखा है।”
उन्होंने कहा कि “मैं प्रसन्नता से कहना चाहूँगा कि उच्च स्तर के रक्षा उपकरणों के सह उत्पादन के लिए भारत ने अवसरों में विस्तार किया है। अगर यहाँ अधिक कर में रियायत की जरुरत हुई तो हम इस पर बेहतर तरीके से विचार करेंगे।”
भारत और फ्रांस ने नियमित द्विपक्षीय संयुक्त अभ्यास की जटिलता और स्कोप का विस्तार करने पर सहमती जाहिर की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके समकक्षी फ्लोरेंस परली के बीच मंगलवार को दूसरी भारत-फ्रांस मन्त्रिय स्तर वार्षिक रक्षा वार्ता का आयोजन किया गया था।