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प्रशांत किशोर ने अपने आंदोलन को “जन सुराज” बताते हुए पार्टी बनाने की संभावना जताया है।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, ‘प्रशांत किशोर के बयान का कोई मतलब नहीं है। मुझे उसका जानकारी नहीं रहता है। Who is he? वह अब तक वह कहीं कोई फैक्टर नहीं रहे हैं।’

उनकी टिप्पणी के कुछ दिनों बाद किशोर ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि बिहार के नेताओं – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने पिछले तीन दशकों में राज्य के लिए काम किया है, जबकि राज्य विकास देखना बाकी है। 

शुक्रवार को प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया: ‘नीतीश जी ने ठीक कहा – महत्व #सत्य का है और सत्य यह है कि 30 साल के लालू-नीतीश के राज के बाद भी बिहार आज देश का सबसे गरीब और पिछड़ा राज्य है। बिहार को बदलने के लिए एक नयी सोंच और प्रयास की ज़रूरत हैं और यह सिर्फ़ वहाँ के लोगों के सामूहिक प्रयास से ही सम्भव है।’

प्रशांत किशोर ‘एक नई यात्रा’ शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले एक दशक में बड़े पैमाने पर चुनावी जीत के लिए रणनीतियों के लिए जाने वाले जिसमें 2014 के राष्ट्रीय चुनावों में भाजपा भी है। 

प्रशांत किशोर ने इस सप्ताह जनता की बातों को सुनने-समझने के लिए 3,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की घोषणा की। उन्होंने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मेरी योजना लगभग एक साल में 3,000 किलोमीटर की दूरी तय करने की है। मैं राज्य के हर नुक्कड़ और कोने की यात्रा करूंगा और अधिक से अधिक लोगों से मिलूंगा उनकी शिकायतों और आकांक्षाओं से सीखने की कोशिश करूंगा।’

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पूर्व सहयोगी के बयान पर कहा, ‘कोई जो कुछ भी कहता है, मैं उसे महत्व नहीं देता। यह आप पत्रकारों को तय करना है कि मेरा प्रशासन उम्मीदों पर खरा उतर पाया है या नहीं। लोग यह भी जानते हैं कि हमने पिछले 15 वर्षों में क्या किया है।’

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हाल ही में CAA के बारे में बोलने के बाद फिर से ध्यान केंद्रित करने के बाद, नीतीश कुमार ने शुक्रवार को कहा: ‘यह केंद्र का एक नीतिगत निर्णय है जिसे हम अलग से देखेंगे। अभी तक हमारी प्राथमिक चिंता यह है कि कोविड -19 मामले हैं एक बार फिर से बढ़ रहा है और लोगों को ताजा उछाल से बचाना हमारी प्राथमिकता है।’

नागरिकता कानून पर बोलते हुए तेजस्वी यादव ने शनिवार को एएनआई के हवाले से कहा: ‘सीएए-एनआरसी पर हमारा रुख स्पष्ट है। हम हमेशा संसद में इसका विरोध करते रहे हैं और मुझे नहीं लगता कोरोना को देखते हुए इसे बिहार में जल्द ही लागू किया जाएगा।’

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