अमेरिका और तालिबान के बीच रमजान के पहले दिन शान्ति वार्ता को रोक दिया गया था। तालिबान के साथ बातचीत के लिए अमेरिकी अधिकारी दोहा में हैं। दोनों पक्षों के बीच अफगानी सरजमीं से विदेशी सेनाओं की वापसी का मुद्दा बेहद अहम बना हुआ है।
दोहा में बातचीत
दोहा में छठे स्तर की बातचीत के लिए अमेरिकी अधिकारीयों ने पिछले हफ्ते से क़तर में डेरा डाला हुआ है और इसका मकसद अफगानिस्तान में लम्बे समय से जारी जंग का अंत है।
तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने ट्वीट कर कहा कि “रमजान के पाक माह के पहले दिन वार्ता को रोका जा रहा है। इसमे पूरे दिन मुस्लिमो का रोजा यानी उपवास होता है लेकिन वाररता मंगलवार को बहाल हो जाएगी।”
दोहा में सेंटर ऑफ़ कॉन्फ्लिक्ट एंड हुमानिटरियन स्टडीज के निदेशक सुलतान बरकात ने बताया कि “मंगलवार को वार्ता की शुरुआत हो जाएगी और दोनों पक्षों ने इसमें अच्छी खासी तरक्की की है।” लेकिन रविवार शाम को शाहीन ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच अफगानिस्तान से विदेशी सेनाओं की वापसी के मूल सवाल पर वार्ता की सुई अटक गयी है।”
सेनाओं की वापसी पर फंसा पेंच
सेनाओ की वापसी पर अमेरिकी रज़ामंदी से पूर्व वह तालिबान को सुरक्षा की गारंटी, संघर्षविराम और अन्य प्रतिबद्धताओं को निभाने की मांग कर रहा है, इसमें काबुल सरकार और अफगानी प्रतिनिधियों के साथ अफगान वार्ता भी शामिल हैं।
चरमपंथियों ने कहा कि “जब तक अमेरिका सेनाओं की वापसी की समयसीमा का ऐलान नहीं कर देता वह इसमें से एक भी चीज नहीं करेंगे।” बीते हफ्ते राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान को रमजान के पहले दिन संघर्षविराम का प्रस्ताव दिया था लेकिन चरमपंथियों ने इसे खारिज कर दिया था।
गनी ने सोमवार को दोहराया कि तालिबान बीते हफ्ते के लाया जिरगा सम्मलेन की मांगो का सम्मान करे। इस समारोह में हज़ारो आदिवासी वृद्धो और अफगानो ने शिरकत की थी। उन्होंने कहा कि “रमजान का महीना शान्ति और सुलह का होता है। मैं एक बार फिर तालिबान को इस माह और लाया जिरगा के समारोह की मांगो का सम्मान करने की मांग करता हूँ।”
रविवार को अफगानिस्तान के उत्तरी इलाके में स्थित पुलिस मुख्यालय में तालिबान के एक फियादीन हमलावर और कई बंदूकधारियों ने हमला किया था। इसमें 13 लोगो की मौत हुई और दर्ज़नो लोग घायल हो गए थे।