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    प्रशांत भूषण

    आम आदमी पार्टी के पूर्व नेता, वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने रफाल समझौते पर पीएम मोदी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होनें कहा उम्मीद है सीबीआई इस पर मुनासिब जांच पड़ताल करेगी।

    मुम्बई प्रेस क्लब को सम्बोधित करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि यदि सीबीआई किसी कारण जांच करने में विफल रहती है तो वह इस केस को अदालत में ले जाएंगे।

    प्रशांत भूषण ने कहा कि 58000 करोड़ के रफाल लड़ाकू विमान का सौदा राजनीतिक धांधली है। कांग्रेस ने भाजपा पर गलत तरीके से सौदा करने का इल्जाम लगाया। हालांकि सरकार ने आरोपों को खारिज कर दिया था। राजीव गांधी के बोफोर्स घोटाले की तरह रफाल घोटाले के बाबत प्रशांत भूषण ने बताया कि फ्रांस के साथ अभी का रक्षा सौदा ज्यादा चिंताजनक है।

    प्रशांत भूषण ने कहा यह किसी कंपनी को फायदा पहुंचाने बात नहीं है बल्कि यह देश का सबसे बड़ा घोटाला है। जिसे देखना अभी बाकी है।

    इस सौदे की लागत बहुत ज्यादा है और इसका कॉन्ट्रैक्ट अनिल अंबानी जैसी नई कंपनी को देकर राष्ट्र की सुरक्षा का मखौल उड़ाया जा रहा है।

    बीते हफ्ते 4 अक्टूबर को प्रशांत भूषण, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिंह और पत्रकार अरुण शौरी ने रफाल सौदे के खिलाफ सीबीआई को लिखित शिकायत सौंपी थी। इस शिकायत में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और पीएम मोदी का नाम था। इस लिखित शिकायत में सीबीआई से भ्रष्टाचार कानून कर तहत जाँच करने का आग्रह किया था।

    भारत सरकार ने साल 2015 में फ्रांस की डास्सो कंपनी से 36 रफाल लड़ाकू विमानों के लिए सौदा किया था।  इस लिखित शिकायत में पूछा है कि अम्बानी की रिलायंस डिफेंस को कैसे डास्सो कंपनी का भारतीय साझेदार बना  दिया। कैसे ऐसी कंपनी को साझेदार बना सकते हैं जिसके पास अनुभव नहीं है और कर्ज में डूबी हुई है।

    सीबीआई को शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज काफी ही होगी। यदि इस प्रक्रिया को न निभाया गया तो केस अदालत में जायेगा।

    साल 2016 में भारत ने फ्रांस की सरकार के साथ लड़ाकू विमान खरीदने के लोए सौदा किया था। जिसका आयात साल 2019 तक शुरू हो जाएगा।

    प्रशांत भूषण ने सरकार पर आरोप लगाया कि प्रति विमान की कीमत सरकार नहीं बता रही है और भारत सरकार के आग्रह पर ही रिलायंस डिफेन्स को इस सौदे में शामिल किया गया था।

    हाल ही में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने रिलायंस कंपनी को साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि फ्रेंच सरकार और डास्सो इन आरोपों को नकारती रही है।

    डास्सो कंपनी ने कहा था कि वे अपने साझेदार चुनने के लिये स्वतंत्र है। चूंकि रिलायंस सभी उम्मीदों पर खरी उतरी इसलिए उसे भारतीय साझेदार बनाया।

    इससे पूर्व कांग्रेस से अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी रफाल डील पर सवाल उठाए थे।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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