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    रतन टाटा उस शख्स का नाम है जिसने औ​द्योगिक जगत के विभिन्न क्षेत्रों में भारत को एक नई पहचान दिलाई। रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। रतन टाटा की स्कूली शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल में हुई, लेकिन उन्होंने सेकेंडरी शिक्षा जॉन केनन स्कूल से पूरी की।

    1962 में कोर्नेल विश्विद्यालय से आर्टीटैक्चर में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कहते हैं रतन टाटा को आबीएम में जॉब करने का आॅफर मिला था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था। यह तो होना ही था, क्योंकि भारत में टाटा ग्रुप की रोशनी बिखेरने वाला यह शख्स एक छोटी सी नौकरी के लिए नहीं बना था।

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    रतन टाटा 1961 में टाटा ग्रुप से उस वक्त जुड़े जब उन्हें जमशेदपुर के टाटा स्टील प्लॉन्ट में भेजा गया। वहां रतन टाटा ने कारीगरों के साथ रहकर काम की बारीकियां सीखीं। 1971 में रतन टाटा नेल्को के डायरेक्टर बने। लेकिन उनके जीवन में असली मोड़ तब आया जब 1991 में उन्हें जेआरडी टाटा ने टाटा संस का चेयरमैन बनाया। एक वो दिन और एक आज, पूरी दुनिया में टाटा ग्रुप की धाक कायम है।

    रतन टाटा

    विमानन क्षेत्र

    अगर हम विमानन क्षेत्र की करें तो आज की तारीख में भारत का विमानन उद्योग भारतीय रेलवे और दूरसंचार उद्योग के बराबर कारोबार कर रहा है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में विमानन करोबार की कुल आय करीब 1.8 लाख करोड़ रूपए दर्ज की गई है। मौजूदा समय में भारत में विमान से यात्रा करने वालों की संख्या 20 करोड़ है, जबकि अगले 15-20 साल में यह संख्या बढ़कर करीब 1000 करोड़ हो जाएगी।

    लेकिन आप को जानकारी के लिए बता दें कि टाटा एयरलाइंस ने 1932 में ही भारत में विमानन उद्योग की शुरूआत कर दी। 1933 में दो लाख की लागत से स्थापित ‘टाटा संस’ कंपनी ने इसी वर्ष 155 पैसेजरों और 11 टन डाक ले जाने ले आने का काम किया। टाटा एयरलाइन्स के जहाज़ों ने एक ही साल में कुल मिलाकर 160, 000 मील तक की उड़ान भरी।

    विस्तारा

    आज़ादी के बाद यानी साल 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागेदारी ले ली थी। आज भारत में कई एयरलाइन्स हैं, लेकिन एयरलाइन्स में पहली बार टाटा ग्रुप ने ही असली पहचान दी। ए-16 फाइटर जेट उड़ाने वाले रतन टाटा ने विस्तारा ग्रुप के माध्यम से विमानन उद्योग को बढ़ावा दे रहे हैं।

    अक्टूबर 2016 की जानकारी के अनुसार इस समय विस्तारा ग्रुप में 13 एयरबस, 200 से 300 विमान शामिल हैं। सात एयरबस और खरीदने को आॅर्डर दिया जा चुका है जिसे जून 2018 तक इस बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा।

    कार उद्योग में टाटा मोटर्स का विस्तार

    टाटा मोटर्स देश की तीसरी सबसे बड़ी कार मेकर बनकर उभरी है। पहले नंबर पर मारूति सुजूकी तथा दूसरे हयूंडई है। बात साल 2016 की करें तो टाटा ने अपनी ब्रिक्री में 35 फीसदी का इजाफा किया है।

    पिछले कई वर्षों बाद टाटा ने अपनी पहचान दोबार कायम की वो भी तब जब ​साइरस मिस्त्री को हटाने के बाद रतन टाटा ने कंपनी की कमान खुद अपने हाथों में ले ली। रतन टाटा ने टाटा चाय , टाटा मोटर्स , टाटा स्टील जैसी कंपनियों को उचाईयों के शिखर तक पहुंचाया। शायद इसीलिए टाटा का 65 फीसदी धन विदेशी व्यापार से आता है।

    इलेक्ट्रिक वाहन

    इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम

    जब टाटा समूह ने एयर इंडिया की स्थापना की थी, तब इंडिया को एक नई दिशा मिली थी। करीब 85 साल बाद टाटा ग्रुप ने एक बार फिर से टाटा ग्रुप ने गुजरात के साणंद संयंत्र से इलेक्ट्रिक कार ​टिगोर का विनिर्माण करना शुरू कर दिया है। दिलचस्प बात तो यह है कि इन सभी इलेक्ट्रिक सेडान कारों का इस्तेमाल सबसे पहले सरकार और उसकी एजेंसियों में किया जाएगा।

    टाटा मोटर्स की इलेक्ट्रिक कार टिगोर नई तकनीक पर आधारित पहली भारतीय कार है। इलेक्ट्रिक कार टिगोर कुछ ही दिनों में भारत सरकार और उसकी नौकरशाही तथा निजी क्षेत्र की प्रतीक बन जाएगी। टाटा मोटर्स की टिगोर भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने का संकेत बनकर उभरी है। आपको बता दें कि सरकार ने 2030 तक भारत की सड़कों पर केवल इलेक्ट्रिक कारें उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

    टाटा स्टील

    टाटा स्टील, दुनिया के दस सर्वश्रेष्ठ स्टील विनिर्माताओं में से एक है। इसका परिचालन 20 से ज्यादा देशों में होता है तथा इसकी व्यावसायिक उपस्थिति 50 से ज्यादा देशों में है। वैसे तो टाटा स्टील की स्थापना 1907 में ही की गई लेकिन आज की तारीख में यह दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी है। इसका मुख्याल मुंबई में है और इसकी कमान फिलहाल रतन टाटा के हाथों में है। टाटा स्टील भारत की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली नीजि क्षेत्र की दूसरी बड़ी कंपनी भी है।

    बिजनेस की हर बाजी जीती लेकिन प्यार में हुए फेल

    एक टेलीविजन चैनल ने अविवाहित रतन टाटा की लव लाइफ का खुलासा करते हुए कहा था कि उन्हें चार बार प्यार हुआ लेकिन शादी करने से वे हर बार चूक गए। इस बारे में रतन टाटा का कहना हैं कि शादी नहीं बड़ा अच्छा हुआ वरना ना जानें क्या हाल होता।

    रतन टाटा

    रतन टाटा ने बताया कि मुझे चार बार प्यार हुआ लेकिन किसी ना किसी डर से मैं ही पीछे हट गया। एक जब मैं अमेरिका था तब मुझे बेहद गंभीर प्यार हुआ लेकिन शादी केवल इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि मैं वापस भारत आ गया। आखिरकार उनकी प्रेमिका ने किसी और से शादी कर ली।

    रतन टाटा इन प्रमुख पुरस्कारों से नवाजे गए

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    भारत सरकार ने रतन टाटा को साल 2000 में पद्म भूषण तथा साल 2008 में पद्म विभूषण जैसे सम्मान से नवाजा। साल 2011 में रतन टाटा को ‘असाधारण नेतृत्व’ के लिए स्विटजरलैंड के ‘स्विस एम्बेसडर’ सम्मान से नवाजा गया। साल 2014 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ ने रतन टाटा को नाइट ग्रैंड क्रॉस (जीबीई) से नवाजा। यह सर्वोच्च ब्रिटिश सम्मानों में से एक है। रतन टाटा को यह सम्मान ब्रिटेन-भारत संबंध, यूके में निवेश व सामाजिक कल्याण में योगदान के लिए दिया गया।

    रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप की सफलता

    80 वर्षीय रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा ग्रुप के राजस्व में 40 गुना तथा मुनाफे में 50 गुना बढ़ोतरी की है। 1991 में रतन टाटा के चेयरमैन बनने से लेकर आज तक टाटा ग्रुप की कुल कंपनियों की मार्केट कैप 10 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुकी है। टाटा ग्रुप ने पूरी दुनिया के करीब 7 लाख लोगों को रोजगार दिया हुआ है। टाटा ग्रुप अपनी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में भारत सरकार को चुकाती है।