भारत और अमेरिका के मध्य संबंध अपने चरम पर पंहुच रहे हैं। दोनो राष्ट्रों और नेताओं के मध्य रिश्तों को एक नई ऊंचाई मिल रही है। पेंटागन ने बताया कि द्विपक्षीय सामरिक साझेदारी को अधिक मजबूत करने में लिए भारत के साथ मिसाइल रक्षा सहयोग पर बातचीत हुई थी।
पेंटागन ने बताया कि अमेरिका की हिन्द-प्रशांत रणनीति में भारत की अहम भूमिका है। भारत और रूस के संबंध भी बीते कुछ वर्षों में मज़बूत हुए हैं और भारत ने रूस को एस-400 मीसिले रक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए पांच अरब डॉलर का आर्डर दिया है।
अमेरिका इस सौदे पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुका है क्योंकि अमेरिका ने रूस पर कासटा कानून के तहत प्रतिबंध लगाए हैं।
पेंटागन ने कहा कि खतरनाक मिसाइल क्षमताओं के उत्पादन से उत्पन्न खतरा अब कुछ हिस्सों तक सीमित नही रह गया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के ऐसे कई देश है, जिन्होंने बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल की आधुनिक तकनीक का विस्तार कर रहे हैं।
पेंटागन ने शुक्रवार को कहा कि इस मसले पर भारत के साथ अमेरिका ने चर्चा की है और भारत एक वुशाल रक्षा साझेदार हैं व हिन्द-प्रशांत रणनीति में एक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहा है। इस रिपोर्ट में रूस और चीन की मिसाइल परियोजनाओं को अमेरिका के लिए एक बड़ा खतरा कहा गया है। हालांकि भारत के साथ किस प्रकार की चर्चा हुई इसकी अधिक जानकारी मुहैया नही की गई है।
अमेरिका ने पूर्व में भारत के साथ अपनी आधुनिक रक्षा मिसाइल प्रणाली हो साझा करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। भारत ने अमेरिका की उन्नत प्रणाली टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस प्रणाली हासिल करना में दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन ओबामा प्रशासन ने इसमे अपनी नाखुशी जाहिर की थी।
अमेरिका की अनिच्छा के कारण भारत ने उन्नत मिसाइल खरीदने के लिए रूस की तरफ रुख किया और एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी थी।
अमेरिका अब अपनी रणनीति के तहत मिसाइल रक्षा प्रणाली भारत को देना चाहता है। इस संबंध में दोनो राष्ट्रों के बीच पूर्व में भी बातचीत हो चुकी है। अमेरिका ने साल 2017 में रक्षा प्रणाली में कहा था कि हम भारत के साथ सामरिक साझेदारी को अत्याधिक मज़बूत करेंगे और हैम हिन्द महासागर अन्य क्षेत्रों में भारत की भूमिका की सराहना करते हैं।