वदर्भ की टीम के सीनियर खिलाड़ी वसीम जाफर रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच में कुछ दम-खम नही दिखा पाए। उन्हे इस मैच में पूरे दिन डेड-बैट करने की जरूरत थी औऱ फिर धीरे-धीरे अफनी टीम को एक सभ्य स्थिति में लाना था। लेकिन वह ऐसा करने में नाकाम रहे और उन्हे प्रेरक मांकड़ की गेंदो में 5 रन बनाने के लिए 40 गेंदो का सामना करना पड़ा था।
विदर्भ की टीम पहले दिन के खेल के अंत तक 7 विकेट के नकुसान में केवल 200 रन ही बना पायी।
रन सूख रहे थे। दबाव बन रहा था। लेकिन विदर्भ की टीम की टुक-टुक जारी रहा। युवा बाएं हाथ के तेज गेंदबाज चेतन सकारिया ने जाफ को एक दर्जन से अधिक गेंदें फेंकी; फिर भी कोई रन नही बने लेकिन जाफर के 3 रन पर होने पर एलबीडब्ल्यू के लिए जोरदार चीख-पुकार मच गई, लेकिन अंपायर ने उन्हे आउट नही दिया और अंपायर को लगा कि बल्ले के किनारे से गेंद लग कर पेड को छूई है। रिप्ले में ऐसा देखा गया कि बल्ले का कोई भी किनारा गेंद से नही टकराया। स्थिति ने शायद उस तरह के अनुशासन की मांग की। यह रणजी फाइनल था और विदर्भ ने शुरुआती दो विकेट गंवा दिए थे, जिसमें कप्तान फैज फजल ने एक आलसी रन आउट हुए थे, जिसके बाद जाफर को एहसास हुआ कि उनका विकेट सबसे बड़ा है और रक्षात्मक है।
लेकिन उसके बाद भी जाफर ज्यादा देर और नही टिक पाए औऱ सौराष्ट्र के कप्तान जयदेव उनादकट ने उनको 23 रन के स्कोर पर चलता किया। जिसके बाद विदर्भ की टीम का स्कोर 60 रन पर 3 विकेट हो गया था।
उसके बाद क्रीज पर बल्लेबाजी करने आए जी सतीश और मोहित काले ने टीम की पारी को संभाला और टीम के लिए महत्वपूर्ण रन जोड़ने शुरू किए, जैसे ही टीम ने 100 का आकड़ा पार किया उसके बाद 49वें ओवर में मोहित काले मकवाना का शिकार बन गए और 35 रन ही बना पाए। उसके थोड़ी देर बाद उनके जोड़ी सतीश भी 32 रन बनाकर प्रेरक मांकड का शिकार हो गए। जिसके बाद विदर्भ की आधी टीम पवैलियन लौट चुकी थी औऱ टीम का स्कोर 134 रन पर 5 विकेट थे।
उसके बाद बल्लेबाजी करने आए सारवटे भी शून्य पर पवैलियन लौट गए औऱ टीम का स्कोर 139/6 था। जिसके बाद अक्षय वाडकर औरर अक्षय कारनेवर ने टीम की पारी को संभाला और स्कोर को पहले दिन के अंत से पहले 200 के करीब तक लेकर गए जिसके बाद विकेटकीपर बल्लेबाज अक्षय वाडकर 45 रन पर आउट हो गए। पहले दिन के अंत तक टीम 7 विकेट के नुकसान पर 200 रन ही बना पायी।