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    केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बब्बर खालसा के आतंकवादी बलवंत सिंह राजोआना के मृत्युदंड को माफ नहीं किया गया है। शाह ने प्रश्नकाल के दौरान बेअंत सिंह के पोते और लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के सवाल का जवाब देते हुए यह घोषणा की।

    बिट्टू ने संसद के दोनों सदनों में सोमवार को हुई चर्चा का हवाला देते हुए गृहमंत्री से सवाल किया, “आपने बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा क्यों बदली?”

    शाह ने हिंदी में जवाब दिया, “कृपया मीडिया रिपोर्ट्स पर मत जाइए। कोई माफी की नहीं गई।”

    गृहमंत्री का बयान पिछले महीने प्रकाशित उन मीडिया रिपोर्ट्स के विपरीत है, जिनमें कहा गया था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजोआना की मौत की सजा को कम कर दिया है।

    फिलहाल पटियाला केंद्रीय कारावास में बंद राजोआना (52) इस मामले में मुख्य दोषी है।

    पंजाब पुलिस के पूर्व कांस्टेबल राजोआना को चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने एक अगस्त, 2007 को फांसी की सजा सुनाई थी और उसे 31 मार्च, 2012 को फांसी दी जानी थी।

    इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दायर क्षमा याचिका के बाद 28 मार्च, 2012 को गृह मंत्रालय ने उसकी मौत की सजा पर रोक लगा दी थी।

    गृह मंत्रालय ने इसी महीने सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी की 550वीं जयंती के अवसर पर मानवीय आधार पर राजोआना की मौत की सजा घटाकर आजीवन कारावास में बदलने का फैसला किया था, जिसकी बिट्टू ने आलोचना की थी।

    गृह मंत्रालय ने इस अवसर पर राजोआना के साथ-साथ देशभर में बंद आठ अन्य सिख कैदियों को भी विशेष छूट दी थी।

    चंडीगढ़ स्थित सिविल सेक्रेटेरिएट में 31 अगस्त, 1995 को आत्मघाती हमले में बेअंत सिंह और 16 अन्य लोगों की मौत हो गई थी।

    बेअंत सिंह की हत्या के लिए पंजाब का एक पुलिस अधिकारी आत्मघाती हमलावर बना था।

    दिलावर सिंह के असफल होने की स्थिति में राजोआना को उसके स्थान पर तैयार किया गया था।

    राजोआना ने बेअंत सिंह की हत्या के लिए 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को कारण बताया था।

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