म्यांमार की सेना ने कहा कि शुक्रवार को रखाइन विद्रोहियों ने छापेमारी के दौरान 13 पुलिस अधिकारीयों की हत्या की है। इस हमले को अंजाम देश के स्वतंत्रता दिवस के दिन दिया गया था और इससे पश्चिमी राज्यों में विवाद बढ़ सकता है। बीते हफ़्तों में रखाइन में विद्रोही अराकन आर्मी और म्यांमार की सेना के बीच कई हिंसक गतिविधियाँ हुई थी।
अराकन आर्मी रखाइन प्रांत के लिए स्वायत्त के दर्जे की मांग कर रही है। बौद्ध बहुल देश में बौद्धों और रोहिंग्या मुस्लिमों के मध्य झड़प की खबरे आती रहती है। साल 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा रक्तपात नरसंहार के कारण लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों को दूसरे देशों में पनाह लेनी पड़ी थी।
सैन्य प्रमुख के दफ्तर से जानकारी दी गयी कि शुक्रवार को अराकन आर्मी के 350 आतंकियों ने उत्तरी रखाइन में स्थित चार पुलिस चौकियों पर हमला कर दिया था और इसमें 13 पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी थी और नौ अन्य जख्मी हो गए थे।
आतंकियों ने भारी मात्र में गोलाबारूद और हथियारों की चोरी की थी, इससे पहली की सेना उन्हें दो हवाईजहाजों और सेना की मदद से शिकस्त दे पाती, वे निकल गए। उन्होंने कहा कि सेना द्वारा चरमपंथियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि वह रखाइन की अधिक अस्थिर और पेचीदा बनाने वाली हरकते कर रहे हैं।
अराकन आर्मी ने फेसबुक पोस्ट के जरिये बताया कि म्यांमार की सेना ने उनके तीन लडाकों की हत्या कर दी थी और कई घायल अवस्था में भी है। साल 1948 में ब्रिटेन की हुकूमत से म्यांमार की आज़ादी का ऐलान किया गया था, लेकिन देश इसके बाद से ही संजातीय विवादों की स्थिति से जूझ रहा है।
गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र ने चिंता व्यक्त करर्ते हुए कहा कि तक़रीबन 2500 लोग विस्थापित हुए हैं, और उसमे से हजारों ने स्थानीय आश्रमों में शरण ले रखी है। साल 2015 में म्यांमार की शक्तिशाली नेता अंग सान सु की की पार्टी ने चुनावों में जीत हासिल की थी और रोहिंग्या शरणार्थियों पर आक्रमण के लिए उन्हें दोषी ठहराया जाता है।