रक्षा मंत्री सीतारमण ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सेना के पूर्व सैनिकों के द्वारा भेजे गए पत्र की निंदा की। यह पत्र राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनावी हित के लिए सेना की छवि के प्रयोग करने के संदर्भ में था। दरअसल, इस पत्र को लेकर राष्ट्रपति भवन के द्वारा बयान जारी किया गया हैं कि हमें ऐसा कोई पत्र नही मिला।
सीतारमण ने कहा कि, दो वरिष्ठ सैनिकों ने कहा हैं कि उन्होंने किसी भी तरह का पत्र सहमति नही दी हैं, चिंता की बात यह हैं कि उस नकली पत्र पर पूर्व सैनिकों के हस्ताक्षर हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति भवन ने भी कहा हैं कि उनकों कोई पत्र नही मिला हैं।
दिग्गजों के अनुसार पत्र को राष्ट्रपति भावन के ऑफिसियल ईमेल आईडी पर चुनाव आयोग कॉपी से साथ भेजा गया था।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में यह अपील की गई थी, कि सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर यह सुनिश्चित करे कि सश्स्त्र बलों के धर्मनिरपेक्ष और अपूर्व राजनीतिक चरित्र को संरक्षित किया जाए। भारत सशस्त्र बलों का राजनैतिक और धर्मनिरपेक्ष रूप हर सैनिक, नाविक और एयरमैन के लिए विश्वास में रखा जाए।
दिग्गजों ने राष्ट्रपति से सभी राजनीतिक दलों को तत्काल राजनीतिक उद्देशयों और राजनीतिक ऐजेंडों के लिए सेना का प्रयोग न करने को कहा है।
हांलाकि, राष्ट्रपति भवन और पूर्व सैनिकों के बयान के बाद भाजपा ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की हैं। भाजपा नेता और रक्षा मंत्री सीतारमण ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि दो वरिष्ठ सैनिकों ने सहमति देने से इंकार कर दिया हैं।