भारतीय रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपने भाषण के जरिये हिन्द महासागर में चीनी सेना के बढ़ते दबदबे पर सवाल उठाये।
सीतारमण ने कहा, ‘पिछले काफी सालों से हिन्द महासागर के आस-पास का इलाका शांतिपूर्ण रहा है, लेकिन हाल ही में कुछ देश यहाँ सैन्य उपस्थिति बढ़ाकर माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।’
निर्मला सीतारमण आज गोवा में सेना के एक कार्यक्रम को सम्बोधित कर रही थी।
उन्होंने आगे कहा, ‘हमने यहाँ गैर-इलाकि देशों को भी यहाँ स्थायी रूप से उपस्थित रहते देखा है, और ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है।’
‘सैन्य दम पर यहाँ स्थायी प्रभुता जमाने वाले ये देश, जो यहाँ गैर-इलाकि हैं, यहाँ अपने लिए बंकर बना रहे हैं। उनके ऐसा करने से यहाँ मौजूद देशों में गर्मागर्मी बढ़ती है।’ सीतारमण ने आगे कहा।
जाहिर है चीन लगातार पानी में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पिछले काफी समय से दक्षिणी चीन सागर में चीन और वहां मौजूद देशों के बीच तनातनी के मामले सामने आये हैं। चीन दक्षिण चीन सागर में एक बड़े इलाके पर अपना कब्ज़ा ज़माना चाहता है, जिससे वहां पानी में मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कर सके।
इसके अलावा पानी चीन के लिए इसलिए भी जरूरी है क्योंकि चीन का ज्यादातर विदेशी व्यापार पानी के जरिये होता है। ऐसे में चीन हिन्द महासागर के मुख्य इलाकों पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है, जिससे भविष्य में उसे मदद मिल सके।
चीन ने हिन्द महासागर में अपने पैर जमाने के लिए श्रीलंका की मदद लेनी की कोशिश की थी। इसके जरिये चीन श्रीलंका में स्थिति हम्बनटोटा बंदरगाह को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा था, जिसमे वो सफल नहीं हो पाया था।
समुन्द्र से निकलने वाले संसाधनों को नीली अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है। इस मामले में सीतारमण ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा देश इस मामले में महासागर और अन्य पानी के स्त्रोतों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘साफ़ प्राकृतिक संसाधनों की उपस्थिति की वजह से देशों के बीच एक नया विषय खड़ा हो गया है , जिसकी वजह से समुन्द्र के आसपास के भूभाग पर काफी बदलाव हो रहे हैं।’