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    नई दिल्ली, 16 मई (आईएएनएस)| कार्यक्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न से अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। कामकाजी महिलाओं को ऐसे हर तरह के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उन्हें इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए और समर्थन जुटाना चाहिए। यह कहना है हरियाणा के अर्ध-शहरी इलाकों के किशोरों का। 85 प्रतिशत किशोर मानते हैं कि महिलाओं को किसी भी प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

    यह बात मार्था फेरेल फाउंडेशन के सर्वेक्षण में सामने आई है। यह संस्था महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ होने वाली हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाने और कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न की समस्या से निपटने की दिशा में प्रयासरत है।

    मार्था फेरेल फाउंडेशन ने तीन महीने तक दिल्ली के करीब हरियाणा के सोनीपत के 10 स्कूलों और 5 आईटीआई के छात्र-छात्राओं के बीच इस सर्वेक्षण को अंजाम दिया। इसमें कुल 1225 बच्चों ने हिस्सा लिया, जिसमें 641 लड़के और 584 लड़कियां शामिल थीं।

    सर्वेक्षण में यह तथ्य भी सामने आया कि करीब 43 प्रतिशत बच्चों (किशोरों) को लगता है कि महिलाओं का पहनावा और व्यवहार भी उनके साथ होने वाले यौन उत्पीड़न का कारण हो सकता है। वहीं 34 फीसद का मानना है कि महिलाओं को ऐसी नौकरी नहीं करनी चाहिए, जिसमें ज्यादा दूर सफर करना पड़े। इस सर्वेक्षण को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि बच्चों की सोच समाज का ही प्रतिबिंब होती है।

    मार्था फेरेल फाउंडेशन की डायरेक्टर नंदिता भट्ट ने कहा, “जीडीपी में महिलाओं के योगदान के मामले में भारत कुछ सबसे पीछे रहने वाले देशों में से है। वल्र्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक, भारत में श्रम क्षेत्र में अगर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जा सके तो भारत के जीडीपी में एक फीसद तक की वृद्धि संभव है। यह समय की जरूरत है कि श्रम क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए। कार्यक्षेत्र में यौन उत्पीड़न से निपटने के प्रति जागरूकता की कमी इस प्रयास में बाधक है।”

    उन्होंने आगे कहा कि भारतीय युवा, विशेषरूप से लड़कियां महत्वाकांक्षी हैं। वे आर्थिक रूप से उत्पादक बनना चाहते हैं। लड़के और लड़कियां इस बात को लेकर जागरूक हो रहे हैं कि उत्पीड़न महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने की राह में बड़ी बाधा है। हालांकि समाज में अब भी यह धारणा है कि महिलाओं को सुरक्षा की जरूरत है। जब तक यह सोच है, तब तक हमें समझना होगा कि अभी बहुत प्रयास करने की जरूरत है। यह सोच लड़कियों को उनके सपनों से दूर करती है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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