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    योगी आदित्यनाथ सरकार ने आईएएस लॉबी के विरोध के बावजूद आखिरकार राज्य में पुलिस आयुक्त तंत्र लागू करने का निर्णय ले लिया है। इसका प्रस्ताव सोमवार सुबह यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पारित किया गया।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद यह घोषणा की और कहा कि इस निर्णय से राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार होगा।

    सूत्रों ने कहा कि एडीजी रैंक के अधिकारियों को लखनऊ और नोएडा के आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। लखनऊ के 40 पुलिस थाने इस तंत्र का पालन करेंगे, लेकिन बाहरी क्षेत्र में पड़ने वाले पुलिस थाने फिलहाल पुराने तंत्र पर काम करेंगे।

    पुलिस आयुक्त तंत्र शुरुआती तौर पर लखनऊ और नोएडा में लागू होगा और इसके बाद धीरे-धीरे इसकी सफलता के आधार पर अन्य जिलों में लागू किया जाएगा।

    पुलिस आयुक्त तंत्र लागू किए जाने के बाद जिला अधिकारी के पास सिर्फ राजस्व संबंधित कार्य रह जाएंगे और कानून-व्यवस्था संबंधित सभी निर्णय पुलिस आयुक्त द्वारा लिए जाएंगे।

    इसी कारण से शीर्ष सिविल प्रशासनिक अधिकारी इसका विरोध करते रहे हैं।

    भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने कहा, “उप्र में पुलिस के पास पहले से ही बहुत शक्ति है। वे एनकाउंटर कर रहे हैं और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहे हैं। जनता आम तौर पर पुलिस से डरी हुई है और पुलिस जनता का विश्वास जीतने में असफल रही है। आयुक्त तंत्र सफल नहीं होगा, क्योंकि लोग आमतौर पर अपनी समस्याओं को लेकर जिला अधिकारियों और उप जिला अधिकारियों के पास जाते हैं। वे पुलिस की अपेक्षा सिविल प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने में ज्यादा सहज महसूस करते हैं।”

    उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने कहा, “इस तंत्र से पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) रैंक के आईपीएस अधिकारियों के पुलिस आयुक्त के तौर पर नियुक्त होने पर उन्हें मजिस्ट्रियल शक्तियों समेत और शक्तियां मिलेंगी। यह तंत्र देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में लागू है।”

    उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री जी ने आज लखनऊ एवं नोएडा में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने की महत्वपूर्ण एवं ऐतिहासिक घोषणा की है। इस निर्णय से जहां सुरक्षा एवं कानून-व्यवस्था कि स्थिति बेहतर होगी, वहीं स्मार्ट पुलिसिंग को भी बल मिलेगा। उत्तर प्रदेश पुलिस आपके विश्वास के लिए आभारी है।”

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